भारत को 5,000-6,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था होना चाहिए: प्रणब मुखर्जी

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[email protected] । Nov 28 2018 8:06PM

औपनिवेशिक काल में भारत के एक पेन भी नहीं बनाने की क्षमता से लेकर अब तक हुई प्रगति को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा कि आजादी के 71 साल और योजना के 68 साल बाद भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है।

बेंगलुरू। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को देश की आर्थिक वृद्धि दर पर असंतोष जताया और कहा कि भारत को 5,000 से 6,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था होना चाहिए। ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों को ‘आज के परिदृश्य में शिक्षा का मूल्य’ विषय पर संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत के पास वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की क्षमता है। यह पूछे जाने पर कि वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की यात्रा में कैसे छात्र योगदान कर सकते हैं, मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारत का वैश्विक आर्थिक शक्ति बनना तय है।’’


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उन्होंने कहा, ‘‘...आज भारतीय अर्थव्यवस्था 2268 अरब डालर की है। मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं।’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘पूर्व वित्त मंत्री होने के नाते मुझे लगता है कि हमें कुछ और प्रगति करनी चाहिए। यह 5,000 से 6,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था होनी चाहिए।’’ औपनिवेशिक काल में भारत के एक पेन भी नहीं बनाने की क्षमता से लेकर अब तक हुई प्रगति को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा कि आजादी के 71 साल और योजना के 68 साल बाद भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनिया में तीसरी बड़ी सैन्य शक्ति हैं।’’ 

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मुखर्जी ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अलावा अंतरिक्ष क्षेत्र में उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के 184 सदस्य देशों में से हम एकमात्र देश है जो मंगल पर पहले प्रयास में यान भजने पर सफल रहे हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि कैसे एक नेता को आलोचना को झेलना चाहिए, मुख्रर्जी ने कहा, ‘‘आलोचना जीवन का हिस्सा है। आलोचना हमेशा बुरी नहीं होती। यह हमेशा नकारात्मक नहीं होती।’’ पूर्व राष्ट्रपति ने सभी तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच पर भी जोर दिया।

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