थोक मुद्रास्फीति जून में चढ़ कर 5.77% पर, चार साल का उच्चतम स्तर

India wholesale inflation hits 4.5-year high
[email protected] । Jul 16 2018 7:00PM

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जून में बढ़ कर 5.77% पर पहुंच गई, जो इसका पिछले चार साल का उच्चतम स्तर है। मुख्य रूप से सब्जियों और ईंधन के महंगा होने से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है।

नयी दिल्ली। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जून में बढ़ कर 5.77% पर पहुंच गई, जो इसका पिछले चार साल का उच्चतम स्तर है। मुख्य रूप से सब्जियों और ईंधन के महंगा होने से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है। मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने से भारतीय रिजर्व बैंक अपनी नीतिगत दरों को बढ़ा सकता है। आरबीआई के मौद्रिक नीति समिति की बैठक इसी माह के अंत में होने जा रही है। मई में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 4.43% और पिछले साल जून में 0.90% थी। जून में मुद्रास्फीति का स्तर दिसंबर 2013 के बाद सबसे अधिक है। उस समय यह दर 5.9% थी। पिछले हफ्ते खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी हुए थे। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून में पांच प्रतिशत रही जो पांच महीने का उच्च स्तर रही। उल्लेखनीय है कि देश की मौद्रिक नीति को तय करने में रिजर्व बैंक मुख्यत: खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों का इस्तेमाल करता है।

रिजर्व बैंक महंगाई दर चार प्रतिशत पर रखे जाने के लक्ष्य को लेकर चलता है। मुद्रास्फीति जब भी इस दायरे से बाहर चली जाती है तो केंद्रीय बैंक पर नीतिगत दरों को बढ़ाने का दबाव बढ़ जाता है। आज जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं के वर्ग में मुद्रास्फीति जून 2018 में 1.80% रही जो मई में 1.60% थी। सब्जियों के भाव सालाना आधार पर 8.12% ऊंचे रहे। मई में सब्जियों की कीमतें 2.51% बढ़ी थीं।

बिजली और ईंधन क्षेत्र की मुद्रास्फीति दर जून में बढ़कर 16.18% हो गई जो मई में 11.22% थी। इसकी प्रमुख वजह वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ना है। इस दौरान आलू की कीमतें एक साल पहले की तुलना में 99.02% ऊंची चल रही थीं। मई में आलू में मुद्रास्फीति 81.93% थी। इसी प्रकार प्याज की महंगाई दर जून में 18.25% रही है जो इससे पिछले महीने 13.20% थी। दालों के दाम में गिरावट बनी हुई है। जून में दाल दलहनों के भाव सालाना आधार पर 20.23% घट गए थे। सरकार ने अप्रैल की थोक मूल्य मुद्रास्फीति को संशोधित कर 3.62% कर दिया है।

प्रारंभिक आंकड़ों में इसके 3.18% रहने का अनुमान लगाया गया था। रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कच्चे तेल की पीछे बढ़ी कीमतों का असर आलोच्य माह में दिखा है। इसके अलावा कपास और बिजली की ऊंची कीमतों का भी प्रभाव पड़ा है जिससे जून में महंगाई में वृद्धि साफ दिखती है। बढ़ती महंगाई दर रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक ही है। बैंक ने अपने ताजा अनुमान में अक्तूबर- मार्च छमाही में खुदरा महंगाई दर 4.7% रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले उसका पूर्वानुमान 4.4% था। मौद्रिक नीति समीक्षा की पिछली बैठक में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोत्तरी की थी। केंद्रीय बैंक ने चार साल बाद नीतिगत दर में वृद्धि की है। मौद्रिक नीत समिति की अगली तीन दिवसीय समीक्षा बैठक 30 जुलाई से एक अगस्त के बीच होगी।

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