- |
- |
भारतीय उद्योग वृद्धि करना चाहते हैं, लेकिन किसानों की कीमत पर नहीं: स्मृति ईरानी
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- दिसंबर 1, 2020 17:40
- Like

नये कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसानों लगातार छठे दिन मंगलवार को दिल्ली सीमा के विभिन्न स्थानों पर डटे हुए हैं और उनका विरोध प्रदर्शन जारी है। किसानों का आरोप है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली (एमएसपी) समाप्त हो जायेगी और खेती कॉरपोरेट के हाथों में चली जायेगी।
नयी दिल्ली। सरकार द्वारा किया गया कृषि सुधार वैश्विक स्तर पर यह संकेत देता है कि भारतीय उद्योग देश के किसान समुदाय के हितों से समझौता किये बिना वृद्धि करना चाहता है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को यह टिप्पणी की। ईरानी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के द्वारा आयोजित एक आभासी सम्मेलन में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किया गया कृषि सुधार दुनिया और विशेष रूप से भारतीय समुदाय, उद्योग तथा किसानों को बताता है कि उद्योग विकसित होना चाहता है लेकिन हमारे किसान समुदायों की कीमत पर नहीं।’’
हालांकि, कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री ने किसी विशेष कृषि सुधार का जिक्र नहीं किया। नये कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसानों लगातार छठे दिन मंगलवार को दिल्ली सीमा के विभिन्न स्थानों पर डटे हुए हैं और उनका विरोध प्रदर्शन जारी है। किसानों का आरोप है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली (एमएसपी) समाप्त हो जायेगी और खेती कॉरपोरेट के हाथों में चली जायेगी। इसके अलावा, ईरानी ने कहा कि मौजूदा सत्र में भारतीय कपास निगम द्वारा की गयी 7,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की कपास खरीद से पांच लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ है।Inaugurated Texcon’20 themed on ‘Building India’s Global Competitiveness in Textiles & Apparel’. GOI under PM @narendramodi Ji’s leadership has included Technical Textiles & MMF segments in PLI Scheme; urged Industry to innovate & boost domestic mfg for an #AatmaNirbharBharat. pic.twitter.com/AaTvP6irBA
— Smriti Z Irani (@smritiirani) December 1, 2020
कोरोना महामारी का असर- सबसे ज्यादा महिलाओं ने गंवाई नौकरी, बढ़ी घरेलू हिंसा
- निधि अविनाश
- जनवरी 27, 2021 18:50
- Like

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को महामारी में बढ़ती हिंसा से भी ग्रस्त किया गया क्योंकि आपात स्थिति के दौरान बढ़ती चिंता अक्सर महिलाओं के प्रति हिंसक और अपमानजनक व्यवहार को बढ़ावा देती है।आंकड़ों के अनुसार घरेलू हिंसा में तेजी देखी गई, राष्ट्रीय महिला आयोग को 25 मार्च और 31 मई, 2020 के बीच 1,477 शिकायतें मिलीं ।
ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोरोना महामारी के दौरान महिलाओं को नौकरी के नुकसान का खामियाजा भुगतना पड़ता है क्योंकि उनका अधिकांश काम अदृश्य है। इसके अलावा महिलाएं अनौपचारिक कार्य व्यवस्था में काम करने की संभावना रखते हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज ट्रस्ट द्वारा एक सर्वेक्षण के मुताबिक, जो महिलाएं नौकरी छोड़ सकती हैं, उनमें से तैंतीस प्रतिशत को भी आय में भारी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि ऑक्सफैम, 20 गैर-लाभकारी समूहों का एक ग्रूप है जो वैश्विक गरीबी को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका नेतृत्व ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने साल 1942 में किया था।
इसे भी पढ़ें: वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, भारतीय सीमा शुल्क अब कारोबार सुगमता और व्यापार में सहयोग के लिए कर रहा है काम
इसकी रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2020 में 17 मिलियन महिलाओं ने अपनी नौकरी खो दी। इसलिए, महिलाओं के लिए बेरोजगारी 18 प्रतिशत के पूर्व-लॉकडाउन स्तर से 15 प्रतिशत बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि महिलाओं की बेरोजगारी बढ़ने से भारत की जीडीपी में लगभग 8 फीसदी या 218 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है, रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन से पहले जिन महिलाओं को नौकरी पर रखा गया था, उनके भी 23.5 प्रतिशत अंक कम होने की संभावना थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के बाद से, महिलाओं में काम का बोझ बढ़ गया है। कोविड -19 से पहले, ग्रामीण और शहरी महिलाओं ने वेतन और अवैतनिक गतिविधियों को मिलाकर प्रति दिन 373 मिनट और 333 मिनट बिताए।ऑक्सफैम के पूरक ने कहा, "यह अनुमान लगाया जाता है कि यदि भारत के शीर्ष 11 अरबपतियों पर उनके धन का सिर्फ 1 प्रतिशत कर लगाया जाता है, तो सरकार देश में नौ लाख आशा कार्यकर्ताओं के औसत वेतन का भुगतान 5 वर्षों के लिए कर सकती है।"
इसे भी पढ़ें: Tik tok भारत में अपना कारोबार करेगी बंद , जानिए क्यों लिया इतना बड़ा फैसला
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को महामारी में बढ़ती हिंसा से भी ग्रस्त किया गया क्योंकि आपात स्थिति के दौरान बढ़ती चिंता अक्सर महिलाओं के प्रति हिंसक और अपमानजनक व्यवहार को बढ़ावा देती है।आंकड़ों के अनुसार घरेलू हिंसा में तेजी देखी गई, राष्ट्रीय महिला आयोग को 25 मार्च और 31 मई, 2020 के बीच 1,477 शिकायतें मिलीं ।मई के बाद से, मामलों में केवल वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई 2020 तक जुलाई में 660 मामले दर्ज किए गए, लेकिन हर महीने कम से कम 450 से ऊपर दर्ज किए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल नवंबर में घरेलू हिंसा के मामले 2019 में 2,960 की तुलना में 4,687 थे। जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1,576 मामले सामने आए और दिल्ली में 906 और बिहार में 265 मामले सामने आए।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, भारतीय सीमा शुल्क अब कारोबार सुगमता और व्यापार में सहयोग के लिए कर रहा है काम
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 27, 2021 17:15
- Like

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा,भारतीय सीमा शुल्क अब कारोबार सुगमता, व्यापार में सहयोग के लिए काम कर रहा है।सीतारमण ने कहा कि सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला हमारी वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने अपने संदेश में कहा, ‘‘अब जबकि हम महामारी से उबर रहे हैं।
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारतीय सीमा शुल्क का कामकाज आज कारोबार सुगमता तथा व्यापार में मदद की ओर स्थानांतरित हो गया है। अंतरराष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस (28 जनवरी) पर अपने संदेश में वित्त मंत्री ने कहा कि सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जन-केंद्रित रवैये से विभाग के कामकाज में बदलाव की प्रक्रिया और मजबूत होगी। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सीमा शुल्क विभाग के कामकाज के तरीके में व्यापक बदलाव हुआ है।
इसे भी पढ़ें: Tik tok भारत में अपना कारोबार करेगी बंद , जानिए क्यों लिया इतना बड़ा फैसला
आज विभाग कारोबार सुगमता तथा व्यापार में सहयोग दे रहा है। जन-केंद्रित रुख से यह प्रक्रिया और मजबूत होगी।’’ उन्होंने कहा कि विश्व सीमा शुल्क संगठन ने इस साल के लिए ‘सीमा शुल्क से पुनरोद्धार, नवीकरण और सतत आपूर्ति श्रृंखला की जुझारू क्षमता में मदद’ की थीम चुनी है, जो आज की स्थिति के मुताबिक है। सीतारमण ने कहा कि सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला हमारी वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने अपने संदेश में कहा, ‘‘अब जबकि हम महामारी से उबर रहे हैं, हमारी सीमाओं की सुरक्षा की दृद्धि से सीमा शुल्क विभाग की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है।
नए कृषि कानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता, सामाजिक सुरक्षा की जरूरत: IMF
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 27, 2021 15:01
- Like

भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में तीन कृषि कानूनों को लागू किया था, और इन्हें कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया गया है, जो बिचौलियों को दूर करेगा और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की आजादी देगा।
वाशिंगटन। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत में हाल में लागू कृषि कानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन साथ ही कमजोर किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि को सुधारों की जरूरत है। वाशिंगटन स्थित वैश्विक वित्तीय संस्थान की मुख्य अर्थशास्त्री ने मंगलवार को कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां सुधार की जरूरत है। भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में तीन कृषि कानूनों को लागू किया था, और इन्हें कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया गया है, जो बिचौलियों को दूर करेगा और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की आजादी देगा। गोपीनाथ ने नए कृषि कानूनों पर एक सवाल के जवाब में कहा, ये कृषि कानून खासतौर से विपणन क्षेत्र से संबंधित हैं।
इसे भी पढ़ें: Tik tok भारत में अपना कारोबार करेगी बंद , जानिए क्यों लिया इतना बड़ा फैसला
इनसे किसानों के लिए बाजार बड़ा हो रहा है। अब वे बिना कर चुकाए मंडियों के अलावा कई स्थानों पर भी अपनी पैदावार बेच सकेंगे। और हमारा मानना है कि इसमें किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है। उन्होंने कहा, जब भी कोई सुधार किया जाता है, तो उससे होने वाले बदलाव की एक कीमत होती है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे कमजोर किसानों को नुकसान न पहुंचे। यह सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती है। अभी एक फैसला किया गया है, और देखना होगा कि इसका क्या नतीजा सामने आता है। भारत में हजारों किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। इस सिलसिले में किसान संगठनों की सरकार के साथ कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, हालांकि उसका कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।

