लॉकडाउन के दौरान भारतीय डाक ने किया कमाल का काम, घरों तक पहुचाएं पैसे
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अलावा, दिव्यांगजन और पेंशनरों को बड़ा समर्थन देते हुए, लॉकडाउन की अवधि के दौरान 480 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 52 लाख प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण भुगतान किए गए हैं।
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया है। इस बीच भारतीय डाक ने कमाल का काम किया है। भारतीय डाक विभाग ज्यादातर पत्र और पार्सल पहुंचाने के लिए जाना जाता है, लेकिन लॉकडाउन के बीच, इसने देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में नकदी और आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने का जिम्मा उठाया। संचार मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि 20 अप्रैल 2020 तक लॉकडाउन की अवधि के दौरान, इंडिया पोस्ट ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) का उपयोग करते हुए लोगों के घर तक जाके 15 लाख लेनदेन में 300 करोड़ रुपये वितरित किए।
इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की एईपीएस सुविधा किसी भी अनुसूचित बैंकों के खातों से घर बैठे पैसे निकालने में सक्षम बनाती है। इसे जोड़कर, लगभग 1.8 करोड़ डाकघर बचत बैंक लेनदेन में 28,000 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। आधार-इनेबल्ड पेमेंट सर्विस (एईपीएस) सुविधा के तहत कोई भी ग्राहक भले उसका अकाउंट किसी भी बैंक में क्यों न हो वह डाकिए के जरिए अपने घर तक पैसे मंगा सकता है। इसके लिए पोस्ट ऑफिस में ग्राहक के बचत खाते की जरूरत नहीं होती है।
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ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अलावा, दिव्यांगजन और पेंशनरों को बड़ा समर्थन देते हुए, लॉकडाउन की अवधि के दौरान 480 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 52 लाख प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण भुगतान किए गए हैं। यात्री एयरलाइंस, रेलवे और राज्य रोडवेज पर सख्त प्रतिबंध के कारण, केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, रविशंकर प्रसाद ने संकट काल में भारतीय डाक को कुछ अलग सोचने के लिए प्रोत्साहित किया था। नतीजतन, विभाग को विभागीय वाहनों के मौजूदा बेड़े के साथ एक अच्छा अभियान शुरू किया।
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