युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर अधिक समय तक बनी रह सकती है उच्च मुद्रास्फीति: आरबीआई

Reserve Bank of India
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रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ऐसा लग रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड महामारी के ओमीक्रॉन संस्करण की तीसरी लहर का सामना कर लिया है। हालांकि, यूक्रेन में जारी युद्ध से आगे की स्थिति पर ‘बादल’ छाए हुए है।’’

नयी दिल्ली|  रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध और आर्थिक प्रतिबंधों का अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ने के कारण वैश्विक स्तर पर ऊंची मुद्रास्फीति अनुमान से अधिक समय तक रह सकती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा कि यूरोप में चल रहे युद्ध और उच्च मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए वैश्विक केंद्रीय बैंकों के सख्त निर्णय से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य प्रभावित हुआ है।

रिजर्व बैंक के अनुसार, वैश्विक परिस्थितियों के कारण घरेलू अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है लेकिन उसके बावजूद यह सुधार के रास्ते पर बनी हुई है। रिपोर्ट के में कहा गया, ‘‘वित्तीय प्रणाली आर्थिक पुनरुद्धार के लिए मजबूत और सहायक बनी हुई है। बैंकों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग संस्थानों के पास आकस्मिक झटकों को झेलने के लिए पर्याप्त पूंजी क्षमता है।’’

केंद्रिय बैंक ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘उच्च मुद्रास्फीतिक दबाव, बाहरी कारकों और भू-राजनीतिक संकट का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करने के साथ नजदीक से निगरानी करने की जरूरत होती है।’’ आरबीआई ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध और रूस पर वित्तीय प्रतिबंधों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका दिया है, जो पहले से ही कोविड​​​​-19 महामारी की लगातार लहरों से जूझ रही थी।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ऐसा लग रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड महामारी के ओमीक्रॉन संस्करण की तीसरी लहर का सामना कर लिया है। हालांकि, यूक्रेन में जारी युद्ध से आगे की स्थिति पर ‘बादल’ छाए हुए है।’’

आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है किमानवीय संकट के अलावा कई चुनौतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को प्रभावित कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध का तत्कालीन परिणाम घरेलू अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का बढ़ना और वित्तीय बाजारों का बिखरना है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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