अंतरराष्ट्रीय समिति का केयर्न मामले पर स्थगन से इंकार

[email protected] । Apr 26 2017 4:39PM

भारत को झटका देते हुए एक अंतरराष्ट्रीय पंच-निर्णय समिति ने ब्रिटेन की तेल कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता की प्रक्रिया पर स्थगन से इनकार किया है।

भारत को झटका देते हुए एक अंतरराष्ट्रीय पंच-निर्णय समिति ने ब्रिटेन की तेल कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता की प्रक्रिया पर स्थगन से इनकार किया है। पिछली तारीख से 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग के मामले में केयर्न ने मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू की थी। मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि तीन न्यायाधीशों के इस मंच ने भारत के इस मामले में यह मुद्दा अलग से तय करने से इनकार किया कि यह भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि के तहत आता है कि नहीं।

आयकर विभाग ने जनवरी, 2014 में केयर्न एनर्जी द्वारा भारतीय परिसंपत्तियों के नवगठित कंपनी केयर्न इंडिया को स्थानांतरण और इसे शेयर बाजारों पर सूचीबद्ध कराने में पूंजीगत लाभ कमाने का मामला बनाया था। दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ कर लागू करने के बजाय उसने लघु अवधि का पूंजीगत लाभ कर लगाया और कंपनी को 10,247 करोड़ रुपये का कर नोटिस दिया। इसके अलावा कर विभाग ने केयर्न एनर्जी के केयर्न इंडिया में शेष 9.8 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री पर भी रोक लगा दी। ब्रिटिश कंपनी ने 2011 में इसे वेदांता समूह को बेचा था। अप्रैल, 2014 में कर विभाग ने केयर्न इंडिया को 20,495 करोड़ रुपये का कर नोटिस दिया था। ब्रिटेन की पूर्ववर्ती अनुषंगी को पूंजीगत लाभ पर कटौती में विफल रहने के लिए यह नोटिस दिया गया था।

दोनों कंपनियों ने कहा कि उन पर कोई कर बकाया नहीं है और उन्होंने मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू की। केयर्न एनर्जी ने भारत-ब्रिटेन निवेश संधि और वेदांता ने भारत-सिंगापुर निवेश संधि के तहत यह प्रक्रिया शुरू की। सूत्रों ने कहा कि भारत केयर्न एनर्जी के मध्यस्थता मामले में करीब पांच साल की रोक लगाना चाहता था। भारत का कहना है कि एक समय में दो मामलों में बचाव करना उसके लिए उचित नहीं होगा। हालांकि, दोनों मध्यस्थता मामलों में शामिल होने का फैसला भारत सरकार का था। ऐसे में वह इनमें से किसी में भी पीछे नहीं हट सकती। जिनेवा के पंच न्यायाधीश लॉरेंट लेवी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने केयर्न एनर्जी की पिछली तारीख से कर मांग के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ 5.6 अरब डॉलर का मुआवजा मांगा पर सुनवाई शुरू की है।

समिति ने इस प्रक्रिया पर स्थगन की अपील को खारिज कर दिया। सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा उसने विभाजन की अपील को 19 अप्रैल, 2017 को खारिज कर दिया। हालांकि, भारत मुख्य मध्यस्थता मामले में यह दलील दे सकता है कि कर मामले द्विपक्षीय निवेश संधि के दायरे में नहीं आते।

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