16-31 मई के बीच करदाताओं की शिकायतों पर देंगे ध्यान आयकर अधिकारी

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[email protected] । May 14 2019 11:41AM

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजे पत्र में कहा है कि 16 से 31 मई के दौरान सभी आकलन अधिकारी आयकर अपील से जुड़े मामलों को शीर्ष प्राथमिकता देंगे और भोजनावकाश से पहले का समय आवेदकों, उनके अधिवक्ताओं से मिलने और उनके मामलों को सुनने में लगायेंगे।

नयी दिल्ली। आयकर विभाग ने सोमवार को कहा वह आयकर अपील वाले मामलों के जल्द निपटारे और करदाताओं की पिछली कर मांग को उनके लंबित रिफंड के साथ समायोजित किये जाने से जुड़ी चिंताओं पर 16 मई से शुरू होने वाले पखवाड़े के दौरान ध्यान देंगे और उनका निदान करेंगे। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजे पत्र में कहा है कि 16 से 31 मई के दौरान सभी आकलन अधिकारी आयकर अपील से जुड़े मामलों को शीर्ष प्राथमिकता देंगे और भोजनावकाश से पहले का समय आवेदकों, उनके अधिवक्ताओं से मिलने और उनके मामलों को सुनने में लगायेंगे।

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इस मामले में सीबीडीटी ने आगे कहा है कि टीडीएस का मिलान नहीं होने को लेकर जारी कर मांग पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। आयकर कानून की धारा 245 के तहत जारी कर मांग जिसको लेकर करदाता सहमत नहीं है, उन्हें सुलझाने पर भी गौर किया जायेगा। इन मामलों की वजह से करदाताओं में काफी असंतोष है। आयकर कानून की धारा 245 के तहत कर प्रशासन करदाता को दिये जाने वाले रिफंड को उसकी पहले की कर मांग के लिये समायोजित कर सकता है। बोर्ड ने कहा है कि बोर्ड ने फैसला किया है कि मई 2019 के दूसरे पखवाड़े 16 से 31 के दौरान करदाताओं के अपील मामलों और दावों के निपटान को जल्द से जल्द निपटाने पर होगा। नांगिया एडवाइजर्स (एंडरसन ग्लोबल) के प्रबंध भागीदार राकेश नांगिया ने कहा कि सीबीडीटी की इस पहल से अगले एक माह के दौरान भारी मात्रा में लंबित रिफंड का भुगतान जारी हो सकता है।

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सीबीडीटी ने पिछले साल मई में भी इसी तरह के पखवाड़े का आयोजन किया था। सीबीडीटी ने कर विवादों में कमी लाने के लिये आयकर विभाग के तहत मामलों को निपटाने की अधिकार सीमा को बढ़ा दिया था। इसके तहत आयकर अपीलीय न्यायधिकरणों में अपील दायर करने वाले मामलों की सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया। इसी प्रकार उच्च न्यायालय में उन मामलों को ले जाया जायेगा जहां विवाद में फंसी कर राशि 50 लाख रुपये होगी। पहले यह सीमा 20 लाख रुपये थी। इसी प्रकार उच्चतम न्यायालय में उन्हीं मामलों को चुनौती दी जा सकेगी जहां विवादित कर राशि एक करोड़ रुपये से कम नहीं होगी।

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