आर्थिक सुधारों को मिल रहा भारी जनसमर्थन: जेटली

[email protected] । Apr 22 2017 5:33PM

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत में पहली बार आर्थिक सुधारों को व्यापक जन समर्थन प्राप्त हुआ है। हाल के चुनाव नतीजे इसका संकेत देते हैं।

वाशिंगटन। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत में पहली बार आर्थिक सुधारों को व्यापक जन समर्थन प्राप्त हुआ है। हाल के चुनाव नतीजे इसका संकेत देते हैं। जेटली ने यहां उनके सम्मान में अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना द्वारा दिये गये भोज में कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था के बारे में आज अहम बात यह है कि जहां तक आर्थिक सुधारों की बात है तो शायद पहली बार उसे इतने बड़े पैमाने पर जन समर्थन प्राप्त हुआ है।’’

उन्होंने कहा कि अतीत में सरकारों ने जो भी सुधार किए वे विभिन्न चरणों में किये गये और सरकारें हमेशा यही महसूस करती रहीं कि उन्हें उसकी राजनीतिक कीमत चुकानी होगी, इसलिये वह कुछ सुधारों को आगे बढ़ाने बाद चुप बैठ जातीं थीं। उन्होंने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों, राजनयिकों, कोरपोरेट नेताओं, विचारकों और भारतीय अमेरिकियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘निश्चित तौर पर दुनियाभर में लोग इस बात को लेकर आशंकित थे कि भारत कुछ कदमों को उठाने में कितना समय लेगा। मैं समझता हूं कि वह दौर अब पीछे छूट चुका है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि बार बार के चुनावों में यही संकेत मिलता है लोग सुधारों के प्रति ज्यादा आकांक्षी एवं उसके पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में भारत ने सात से आठ फीसदी की वृद्धि दर हासिल की है जबकि इस दौरान दुनिया मंदी की दौर में रही। उन्होंने कहा, ‘‘यह वह वृद्धिदर है जिसे हमने पूरी तरह कायम रखा है। इस दौरान हमारे सारे अन्य आर्थिक मापदंड पूरी नियंत्रण में जान पड़ते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले कुछ सालों में देखा है, 7-8 फीसदी वृद्धिदर अब भारत में सामान्य बात हो गयी। हमने 7.2 फीसदी की दर से विकास किया, फिर 7.9 फीसदी की दर से वृद्धि की, अब 7.1 फीसदी रहने की संभावना है तथा अगले साल इसके और उपर जाने की उम्मीद है।’’

जेटली ने कहा कि यह आंकड़ा बढ़ सकता है जो कि दो स्थितियों पर निर्भर कर सकता है। पहला क्या शेष विश्व में वृद्धि लौटी है। दूसरा बिना परखा हुआ क्षेत्र है, अर्थशास्त्री महसूस करते कि वस्तु और सेवा कर लागू होने पर वृद्धि में उछाल आ सकता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अंतर्गत कई बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत दुनिया की ज्यादा खुली अर्थव्यवस्थाओं में एक बन गया है। उसके ज्यादातर क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए खुले हैं। हम दुनिया में किसी भी देश के मुकाबले अधिक निवेश आकर्षित करने वाले देशों में शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह इस निवेश और उच्च सार्वजनिक खर्च का ही सम्मिश्रण है जिसने भारतीय वृद्धि प्रक्रिया को उच्चस्तर पर बनाए रखा है। हालांकि निजी क्षेत्र का व्यय फिलहाल कुछ कम है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘कारोबार का माहौल काफी सुगम हुआ है। भारत की यह छवि कि यहां प्रक्रियाएं बहुत जटिल होती हैं, फाइलों में भ्रष्टाचार की मार पड़ती थी, मैं समझता हूं कि हम इसे बदलने में काफी हद तक सफल हुए हैं।’’ उन्होंने कहा कि जो अड़चनें थीं, सरकार ने खुद उन्हें हटाने के लिए कदम उठाए हैं, संसाधनों के आवंटन जैसे फैसले एवं अन्य चीजें बाजार प्रणाली तय करती है। भारत ने अपने पिछले अनुभव से सीख ली है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसने खुद ही पूरी प्रक्रिया को स्वच्छ बनाने में मदद पहुंचायी है। हमने भारत में राजनीतिक दलों को चंदा देने की प्रणाली को स्वच्छ बनाने के बड़े महत्वाकांक्षी सुधार का काम किया है। यह ऐसा काम है जिससे पिछले कुछ समय से भारतीय लोकतंत्र बचता रहा है।’’

जेटली ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में राजनीतिक चंदा देने की पारदर्शी प्रणाली नहीं थी। बजट में इस साल सरकार ने इस संबंध में विस्तृत घोषणा की है। उन्होंने कहा, ‘‘उस पर काम चल रहा है।’’ उन्होंने कहा कि सब्सिडी को (लाभार्थी) लक्षित बनाना भारत में उन सुधारों में एक है जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती है लेकिन उसका प्रभाव व्यापक है। जेटली ने उपस्थित लोगों से कहा कि हाल के वषोर्ं में जो सबसे उल्लेखनीय सुधार माना जा रहा है कि वह भारत में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) कर व्यवस्था की दिशा में बढ़ना। इसे संभवत: एक जुलाई से लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने पर इसके उल्लेखनीय लाभ होंगे। ‘‘यह एक सक्षम कर प्रणाली है। यह ऐंसी प्रणाली है जिससे कि देशभर में सामान एवं वस्तुओं की आवाजाही बाधा मुक्त होगी। इससे काम करना सरल होगा और जीडीपी को भी समर्थन मिलेगा। इसे सूचना प्रौद्योगिकी का काफी समर्थन होगा।’’

नोटबंदी के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि यह अब तक का सबसे कठिन सुधार रहा जिसके लिये सरकार को असाधारण कदम उठाने पड़े। सरकार के इस कदम से देश में डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिला। बैंकिंग लेनदेन बढ़ा और डिजिटल माध्यमों से लेनदेन बढ़ा है।

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