नागरिकता कानून को NRC के साथ जोड़कर देखना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण: राजीव कुमार
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने सीएए को एनआरसी के साथ जोड़ने को ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और कहा कि इसका लक्ष्य लोगों के मन में डर पैदा करना है। सीएए उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों, ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करेगा जो धार्मिक उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आ गए।
नयी दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मंगलवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के साथ जोड़ने को ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और कहा कि इसका लक्ष्य लोगों के मन में डर पैदा करना है। संशोधित नागरिकता कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करेगा जो धार्मिक उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में आ गये।
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कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग जानबूझकर और संगठित तरीके से सीएए और एनआरसी को आपस में जोड़कर पेश करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा लोगों के बीच भय पैदा करने के लिए किया जा रहा है। इसे तत्काल रोकने की जरूरत है।’’ दो दिसंबर को झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान गृहमंत्री ने कहा था कि उन्होंने देश में एनआरसी को लागू करने की समयसीमा 2024 तय की है और हर घुसपैठिये की पहचान की जाएगी और उन्हें अगले चुनाव से पहले वापस भेजा जाएगा। विवादास्पद नागरिकता कानून से कई शहरों में प्रदर्शन भड़क उठे हैं। प्रदर्शनकारी इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
It is most unfortunate that there has been a conscious & organized effort by some to connect the #CAA with #NRC at a future date. This has been done to create fear & vulnerability among the people. This is eminently avoidable. #CitizenshipAmendmentAct #CitizenshipAmendmentBill
— Rajiv Kumar 🇮🇳 (@RajivKumar1) December 17, 2019
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