...तो इन राज्यों में 5 रुपए प्रति लीटर तक कम हो गए पेट्रोल-डीजल के दाम

list-of-states-where-petrol-diesel-has-become-cheaper-by-rs-5-per-litre
[email protected] । Oct 5 2018 8:22AM

सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक व्यवस्था के तहत 2.50 रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा की।

नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक व्यवस्था के तहत 2.50 रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा की। केंद्र सरकार की घोषणा के बाद भाजपा/राजग शासित अधिकतर राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य स्तरीय करों में भी कटौती की है। इससे इन राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पांच रुपये प्रति लीटर तक कम हो गई हैं।

कच्चे तेल के अंतराष्ट्रीय बाजार में लगतार तेजी के बीच देश में डीजल पेट्रोल के दाम काफी ऊंचे हो गए है। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र ने डीजल-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 1.50 रुपये की कमी की है और पेट्रोलियम का खुदरा काम करने वाली सरकारी कंपनियों को इन ईंधनों का भाव एक-एक रुपये प्रति लीटर कम करने और उसका बोझ खुद वहन करने के लिए कहा गया है। इससे कंपनियों पर 9,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

भाजपा/एनडीए शासित राज्य सकरारों ने अपन यहां वैट/बिक्री कर में इसी के बाराबर (2.50 रुपए प्रति लीटर) की कमी की है। केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा समेत अधिकतर भाजपा शासित राज्यों ने वैट में 2.50 रुपये की कटौती की है। इससे इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल की प्रभावी कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गई है।

महाराष्ट्र ने सिर्फ पेट्रोल पर वैट में 2.50 रुपये की कटौती की है। इस प्रकार वहां डीजल की कीमत सिर्फ 2.50 रुपये और पेट्रोल की कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गई हैं। वहीं कर्नाटक और केरल ने ईंधन की कीमतों में और कटौती करने से मना कर दिया है, क्योंकि इन राज्यों ने पिछले महीने ही ईंधन की कीमतों में उल्लेखनीय कटौती की थी। राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्य भी ईंधन की कीमतों में पहले कटौती कर चुके हैं।

हालांकि कांग्रेस शासित पंजाब राज्य इस संबंध में शुक्रवार को उचित निर्णय करेगा। यह कटौती आज मध्यरात्रि से लागू होगी। भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के चार साल के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब पेट्रोलियम पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उत्पाद शुल्क में कटौती से केंद्र सरकार को 10,500 करोड़ रुपये के कर राजस्व का नुकसान होगा। जेटली ने राज्य सरकारों से भी इसी अनुपात में बिक्री कर या वैट में कटौती करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच नौ किस्तों में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की थी। जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसमें दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी। हालांकि इस दौरान कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद सरकार ने उनके दाम कम करने के इन उपायों की घोषणा की है। पेट्रोल-डीजल की सबसे कम कीमत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में है। दिल्ली में पेट्रोल 84 रुपये प्रति लीटर और डीजल 75.45 रुपये प्रति लीटर पर है। जेटली ने कहा कि उन्होंने बुधवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की और इस पर अंतर-मंत्रालयी विचार विमर्श गुरुवार को भी जारी रहा। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को तीन तरीके से कीमत कटौती का फायदा पहुंचाने की व्यस्था की गयी है। इसमें एक लाभ डीजल, पेट्रोल पर केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में डेढ़ रुपये प्रति लीटर की कटौती से, दूसरा पेट्रोलियम विपणन कंपनियां एक रुपये प्रति लीटर का बोझ खुद उठाने से तथा राज्यों में वैट या अन्य शुल्क कम किए जाने से मिलेगा।

जेटली ने कहा, ‘पेट्रोलियम कीमतें बढ़ने से राज्यों का राजस्व बढ़ा है और राज्यों के लिए ढाई रुपये प्रति लीटर तक बोझ वहन करना आसान होगा।’ उन्होंने कहा कि यह उन राज्यों और उनके नेताओं के लिए परीक्षा की घड़ी है जो सिर्फ मौखिक सहानुभूति जताते हैं और ट्वीट करते रहते हैं। अब वह क्या करेंगे यह देखना होगा। पिछली बार भी भाजपा या राजग के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों ने वैट में कमी की थी। इस बार यदि अन्य राज्य सरकारें ऐसा नहीं करती हैं तो जनता उनसे सवाल जरूर पूछेगी।

मध्य अगस्त से अब तक पेट्रोल की कीमत में 6.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 6.73 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के एक रुपये प्रति लीटर का बोझ वहन करने के निर्देश को पेट्रोल-डीजल पर फिर से सरकारी नियंत्रण स्थापित करने के तौर पर देखा जा रहा है। अभी इनकी कीमतें बाजार के आधार पर तय होती हैं। इस घोषणा के बाद इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है।

सरकारी कंपनियों की आय पर इस एक रुपये प्रति लीटर कीमत वहन करने का सालाना बोझ 10,700 करोड़ रुपये होगा। इसमें करीब आधा बोझ इंडियन ऑयल पर और बाकी का बोझ हिस्सेदारी हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम पर जा सकता है। ब्रेंट क्रूड बुधवार को चार साल के उच्चतम स्तर 86 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया जबकि अमेरिका में ब्याज दर सात साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। जेटली ने कहा हालांकि देश में मुद्रास्फीति अभी चार प्रतिशत से कम है। ऊंचे कर संग्रह से राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर स्थिति संतोषजनक है।

जेटली ने कहा कि उत्पाद शुल्क में डेढ़ रुपये की कटौती से चालू वित्त वर्ष की बाकी अवधि में 10,500 करोड़ रुपये के कर राजस्व का नुकसान होगा जबकि पूरे साल में यह नुकसान 21,000 करोड़ रुपये होगा। इन पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमत में आधा हिस्सा करों का है। केंद्र पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 19.48 और 15.33 रुपए प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क लगा रहा था। महाराष्ट्र में पेट्रोल पर वैट 39.12 प्रतिशत वैट था। जबकि तेलंगाना में डीजल पर सबसे अधिक 26 प्रतिशत की दर से वैट लगता है। दिल्ली में पेट्रोल पर 27 प्रतिशत और डीजल पर 17.24 प्रतिशत की दर से वैट लागू है।

जेटली ने कहा कि आज तेल विपणन कंपनियों की स्थिति पहले से अच्छी है और वे एक रुपए लीटर का बोझ उठा सकती हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार को ईंधन की कीमत कम से कम दस रुपये प्रति लीटर कम करनी चाहिए। वहीं केरल के वित्त मंत्री टी. एम. थॉमस इसाक ने इसे राजस्थान और मध्यप्रदेश के आगामी चुनावों से प्रभावित फैसला बताया।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़