ओएनजीसी और ऑयल इंडिया पर बढ़ा रायल्टी का बोझ

[email protected] । Jul 22 2016 5:20PM

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी तेल एवं गैस उत्पादन करने वाली कंपनियों पर रॉयल्टी का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।

तेल कंपनियों को कच्चे तेल के सकल मूल्य पर रॉयल्टी का भुगतान करने का निर्देश दिये जाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी तेल एवं गैस उत्पादन करने वाली कंपनियों पर रॉयल्टी का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। केन्द्र सरकार के इस आदेश के बाद ओएनजीसी को 392 करोड़ रुपए और ऑयल इंडिया लिमिटेड को 1,100 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त रॉयल्टी भुगतान करना होगा।

ओएनजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें संशोधित शर्तों के आधार पर फरवरी 2014 से रायल्टी भुगतान के आदेश के तहत राज्य सरकारों को 392.50 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि 392.50 करोड़ रुपए में से करीब 300 करोड़ रुपए असम को और 91.86 करोड़ रुपए आंध्र प्रदेश को देने होंगे। ओएनजीसी गुजरात को पहले ही संशोधित शर्तों के आधार पर रायल्टी का भुगतान कर रही है। गुजरात देश का तीसरा प्रमुख तेल उत्पादक राज्य है। ऑयल इंडिया लिमटेड जो कि असम में सबसे अधिक कच्चे तेल का उत्पादन करती है, उसे राज्य सरकार को 1,100 करोड़ रुपए से लेकर 1,150 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ सकता है। सरकार के आदेश के मुताबिक ओएनजीसी और ओआईएल कच्चे तेल पर रियायत देती है ताकि सरकार नियंत्रित मूलय पर रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री से रिफाइनिंग कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके। इन रियायतों में अक्तूबर 2014 तक का डीजल का मूल्य शामिल भी शामिल था। इसके बाद डीजल के दाम नियंत्रण मुक्त कर दिये गये। इसलिए कुल मिलाकर ओएनजीसी-ओआईएल को कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य के आधार पर सकल बिल बनाना चाहिये लेकिन सब्सिडी देने के बाद उनकी वास्तविक प्राप्ति इससे कम रही थी।

हालांकि, उत्पादक राज्यों का मानना है कि ओएनजीसी और ओआईएल को सकल बिल के आधार पर रायल्टी का भुगतान करना चाहिए। गुजरात उच्च न्यायालय ने नवंबर 2013 में राज्य सरकार के पक्ष में आदेश दिया था और ओएनजीसी से कहा कि पहले की बकाया रॉयल्टी सहित 10,000 करोड़ रुपए का भुगतान करे। इसके बाद अन्य तेल उत्पादक राज्यों, विशेष तौर पर असम ने भी इसकी मांग की। असम में जब तक कांग्रेस की सरकार थी पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसी राहत प्राप्त करने के लिए न्यायपालिका के पास जाना होगा। राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ओएनजीसी और ऑयल इंडिया से कहा है कि वे एक फरवरी 2014 से रियायत से पहले की दर पर रायल्टी का भुगतान करें।

मंत्रालय के आदेश में कहा गया कि ओएनजीसी लिमिटेड और ऑयल इंडिया लिमिटेड एक फरवरी 2014 से रियायत पूर्व दर के आधार पर कच्चा तेल उत्पादक राज्यों को गुजरात की तरह रायल्टी का भुगतान करेंगी। हालांकि, इसमें यह शर्त भी जोड़ी गई है कि इस बारे में ओएनजीसी लिमिटेड द्वारा उच्चतम न्यायालय के समक्ष गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका का फैसला आने तक यह स्थिति रहेगी। बरहाल, पेट्रोलियम मंत्रालय के इस निर्णय के साथ ही असम को रॉयल्टी के रूप में ओएनजीसी और ऑयल इंडिया से 1,400 करोड़ रुपए और आंध्र प्रदेश को 92 करोड़ रुपए की अतिरिक्त रॉयल्टी प्राप्त होगी। तेल क्षेत्र कानून के मुताबिक ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को जमीन पर स्थित तेल ब्लॉक से निकलने वाले कच्चे तेल पर संबंधित राज्य सरकार को 20 प्रतिशत की दर से रॉयल्टी का भुगतान करना होता है।

We're now on WhatsApp. Click to join.

Tags

    All the updates here:

    अन्य न्यूज़