लोकसभा ने केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण 2019 को दी मंजूरी

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[email protected] । Jul 30 2019 3:57PM

निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस विधेयक का मकसद उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार व्यवहारों से होने वाले नुकसान से बचाना और व्यवस्था को सरल बनाना है।

नयी दिल्ली। लोकसभा ने उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रोत्साहन, संरक्षण एवं लागू कराने के मकसद से केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना करने के प्रावधान वाले उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 को मंगलवार को मंजूरी दे दी। निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस विधेयक का मकसद उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार व्यवहारों से होने वाले नुकसान से बचाना और व्यवस्था को सरल बनाना है। उन्होंने कहा कि इसमें उपभोक्ता विवाद के न्याय निर्णय प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर दिया गया है। 

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मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति शिकायत कर सकता है और 21 दिन के भीतर उसकी शिकायत स्वत: दर्ज हो जायेगी। विपक्षी दलों के सुझाव एवं आपत्तियों पर ध्यान देने का आश्वासन देते हुए पासवान ने कहा कि नियम बनाते समय पर इन सुझाावों पर गंभीरता से विचार किया जायेगा और राष्ट्रहित एवं उपभोक्ता हित से जुड़े सुझावों को शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को उपभोक्ता मंचों से जुड़े रिक्त पदों के बारे में दो दर्जन बार पत्र लिखे जा चुके है और वह एक बार फिर से इन पदों को भरने का आग्रह करते हैं।

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने एन के प्रेमचंद्रन, शशि थरूर, सौगत राय आदि के संशोधनों के प्रस्ताव को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 उपभोक्ताओं के बेहतर संरक्षण और उपभोक्ता विवादों के समाधान के लिये उपभोक्ता परिषदों एवं अन्य प्राधिकरणों की स्थापना का उपबंध करने के लिये अधिनियमित किया गया था। हालांकि इसमें कई कमियां प्रकाश में आई थी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को वर्ष 1986 में अधिनियमित किये जाने से लेकर माल और सेवाओं के लिये उपभोक्ता बाजारों में भारी परिवर्तन आया है। आधुनिक बाजारों में माल और सेवाओं का अंबार लग गया है। वैश्विक श्रृंखलाओं के सामने आने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में वृद्धि और ई वाणिज्य के तीव्र विकास के कारण माल और सेवाओं की निपटान की नयी प्रणालियां विकसित हुई।

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इसमें कहा गया कि भ्रामक विज्ञापन, टेलीमार्केटिंग, बहुस्तरीय विपणन, सीधे विक्रय और ई वाणिज्य ने उपभोक्ता संरक्षण के लिये नई चुनौतियां उत्पन्न की हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को क्षति से बचाने के लिये समुचित और शीघ्र हस्तक्षेप की जरूरत होगी। इसके अनुरूप, एक विधेयक उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 को पिछली लोकसभा में पांच जनवरी 2018 को पुन:स्थापित किया गया था और सदन द्वारा 20 दिसंबर 2018 को पारित किया गया था। विधेयक राज्यसभा में विचार के लिये लंबित रहते हुए 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो गया था। इसलिये उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 को पुन:स्थापित किया जा रहा है। 

प्रस्तावित विधेयक में उपभोक्ताओं के अधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण करने पर जोर दिया गया है। इसमें अनुचित व्यापार व्यवहारों से उपभोक्ताओं को नुकसान से बचाने के लिये, जब आवश्यक हो, तब हस्तक्षेप करने और वर्ग कार्रवाई प्रारंभ करने , माल वापस मंगाने के लिये किसी कार्यपालक अभिकरण की स्थापना का उपबंध किया गया है। इससे विद्यमान विनियामक व्यवस्था में संस्थागत कमी की पूर्ति होगी। विधेयक में केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना का प्रस्ताव है जिसका मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होगा। इसमें उपभोक्ता विवादों के निपटारा के लिये आयोग गठित करने के साथ जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर फोरम गठित करने का प्रस्ताव किया गया है।

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