मारीशस भारत के साथ सीईसीपीए पर बातचीत शुरू करेगा

[email protected] । Aug 5 2016 2:57PM

मारीशस लंबे समय से अटके पड़े द्विपक्षीय कर संधि से जुड़े मुद्दे के सुलझने के बाद अब भारत के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग संधि पर बातचीत शुरू करने की राह देख रहा है।

पोर्ट लुई-नयी दिल्ली। मारीशस लंबे समय से अटके पड़े द्विपक्षीय कर संधि से जुड़े मुद्दे के सुलझने के बाद अब भारत के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग संधि पर बातचीत शुरू करने की राह देख रहा है। मारीशस, भारत में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बड़ा जरिया है और वह तरजीही व्यापार समझौते की भी उम्मीद कर रहा है। वित्त एवं आर्थिक विकास मंत्री प्रविंद जगनॉथ ने कहा है कि मारीशस भारत के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते (सीईसीपीए) पर बातचीत फिर शुरू करेगा। उन्होंने 2016-17 के अपने बजट भाषण में हाल में कहा, ‘‘अब जबकि भारत के साथ दोहरे कराधान का मुद्दा सुलझा लिया गया है, सरकार नई दिल्ली के साथ तरजीही व्यापार समझौते सहित सीईसीपीए पर बातचीत शुरू करेगा और उसे अंतिम रूप देगा।’’

मारीशस को भारत से पेट्रोलियम उत्पाद, दवाओं, अनाज, कपास तथा अन्य वस्तुओं के साथ ही इलेक्ट्रिकल मशीनरी का निर्यात किया जाता है। मारीशस से भारत को लोहा तथा इस्पात, मोती और बहुमूल्य तथा कम बहुमूल्य रत्न का निर्यात होता है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में भारत ने मारीशस को 1.9 अरब डालर की वस्तुओं का निर्यात किया था जबकि इसी अवधि में वहां से 2.11 करोड़ डालर का आयात किया गया।

मारीशस स्थित भारतीय उच्चायोग के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मारीशस सबसे बड़ा स्रोत रहा। इस दौरान भारत में 9.03 अरब डालर का एफडीआई इक्विटी प्रवाह रहा जो वर्ष के दौरान कुल एफडीआई प्रवाह का 29 प्रतिशत रहा। भारत और मारीशस के बीच लंबी वार्ता के बाद दोहरे कराधान से बचाव की 1983 की संधि (डीटीएसी) में किये गये संशोधन पर मई में हस्ताक्षर कर लिये गये। पुराने समझौते में किये गये बदलाव के बाद अब भारत मारीशस के जरिए आने वाले निवेश पर पूंजीगत लाभ कर लगा सकता है। इसके मुताबिक एक अप्रैल 2017 से दो साल तक ऐसे पूंजीगत लाभ पर घरेलू कर की दर के 50 प्रतिशत पर कर लगाया जायेगा और उसके बाद पूरी दर पर कर लगाया जायेगा।

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