वित्त वर्ष 2027 तक देश में कागज की खपत तीन करोड़ टन होगीः आईपीएमए

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इंडियन एग्रो एंड रिसाइकल्ड पेपर मिल्स एसोसिएशन (आईएआरपीएमए) के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान लेखन और छपाई की मांग में कमी देखी गई थी लेकिन फार्मा सेक्टर, एफएमसीजी (तत्काल खपत उपभोक्ता माल कंपनी) और ई-कॉमर्स में वृद्धि ने पेपर पैकेजिंग उद्योग में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नयी दिल्ली| भारत में कागज की खपत में छह से सात प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि होने की संभावना है और इसके वित्त वर्ष 2026-27 तक तीन करोड़ टन हो जाने की संभावना है।

उद्योग निकाय आईपीएमए के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से शिक्षा और साक्षरता पर जोर दिये जाने के साथ साथ संगठित खुदरा क्षेत्र में हुई वृद्धि से प्रेरित है। भारतीय कागज विनिर्माता संघ (आईपीएमए) ने एक बयान में कहा कि कागज उद्योग में भारत में विकास की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर प्रति व्यक्ति खपत यहां सबसे कम है।

बयान के मुताबिक, दुनिया की लगभग 15 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है, लेकिन दुनिया में उत्पादित कुल कागज का केवल 5 प्रतिशत ही उपभोग करती है। संगठित खुदरा क्षेत्र में वृद्धि के साथ शिक्षा और साक्षरता पर जोर और बेहतर गुणवत्ता वाले कागज की मांग इस वृद्धि के प्रमुख कारक हैं।

इसके अलावा एफएमसीजी उत्पादों, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, संगठित खुदरा, ई-कॉमर्स और अन्य क्षेत्रों में गुणवत्ता पैकेजिंग की मांग भी बढ़ रही है। उद्योग निकाय आईपीएमए के अनुसार, भारत में कागज की खपत अगले पांच वर्षों में 6-7 प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2027 तक तीन करोड़ टन तक पहुंच सकता है।

इस तरह भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला कागज बाजार बन जाएगा। संगठन ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में देश में कागज उद्योग में एक प्रकार का परिवर्तन आया है। उद्योग जगत स्थिरता वक्र में ऊपर उठ गया है और तकनीकी रूप से कहीं अधिक उन्नत हो गया है। आईपीएमए के अध्यक्ष ए एस मेहता ने कहा, पिछले पांच-सात वर्षों में नई कुशल क्षमताओं और स्वच्छ एवं हरित प्रौद्योगिकियों को शामिल करने में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का निवेश किया गया है। उद्योग का अनुमानित कारोबार 70,000 करोड़ रुपये का है जबकि घरेलू बाजार का आकार 80,000 करोड़ रुपये का है।

इंडियन एग्रो एंड रिसाइकल्ड पेपर मिल्स एसोसिएशन (आईएआरपीएमए) के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान लेखन और छपाई की मांग में कमी देखी गई थी लेकिन फार्मा सेक्टर, एफएमसीजी (तत्काल खपत उपभोक्ता माल कंपनी) और ई-कॉमर्स में वृद्धि ने पेपर पैकेजिंग उद्योग में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आईएआरपीएमए पेपरेक्स 2022 का आयोजन कर रहा है जो दुनिया में कागज क्षेत्र पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी है। यह 10-13 मई के दौरान ग्रेटर नोएडा में आयोजित की जाएगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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