न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि बीते साल से अधिकः नोमूरा
चालू वित्त वर्ष में खरीफ सत्र के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि पिछले साल से अधिक है, लेकिन इसके बावजूद यह काफी कम है। विशेष रूप से किसानों के हालिया विरोध प्रदर्शनों से ऐसा लगता है।
चालू वित्त वर्ष में खरीफ सत्र के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि पिछले साल से अधिक है, लेकिन इसके बावजूद यह काफी कम है। विशेष रूप से किसानों के हालिया विरोध प्रदर्शनों से ऐसा लगता है। जापानी की वित्तीय सेवा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी नोमूरा की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। नोमूरा के अनुसार एमएसपी में वृद्धि पिछले साल से अधिक रही है और यह किसानों के लिए उत्पादन बढ़ाने का संकेत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ फसलों का बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे चला गया है, इससे बुवाई हतोत्साहित होगी, विशेष रूप से दलहन और तिलहन के मामले में।
नोमूरा के शोध नोट में कहा गया है, 'किसानों के हालिया प्रदर्शनों के मद्देनजर हमारा मानना है कि एमएसपी में वृद्धि मामूली रही है।' सरकार ने धान के एमएसपी में 80 रुपये प्रति क्विंटल वृद्धि को मंजूरी दी है। वहीं दलहन का समर्थन मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाया गया है। इसका मकसद यह है कि किसान खरीफ सत्र में इन फसलों का बुवाई क्षेत्र बढ़ाएं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात जून को 14 खरीफ यानी गर्मियों की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी थी। नोमूरा के अनुमान के अनुसार एमएसपी में प्रत्येक एक प्रतिशत की वृद्धि से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में 0.15 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
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