उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए नियमन में गतिशीलता की जरूरत: जेटली

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[email protected] । Oct 28 2018 11:02AM

उन्होंने कहा, “इसीलिए आपने देखा होगा कि कई नियामक अब अपने दृष्टिकोण पत्र, नमूना मसौदे प्रकाशित करते हैं। वे अब सुनवाई करते हैं, लोगों से मिलते हैं, हितधारकों के समूह से मिलते हैं और पहले की चीजों को बेहतर बनाते हैं।”

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शनिवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में उभार के समय जमीनी स्थिति को देखते हुए नियमन में ढील दिये जाने और बदलाव की जरूरत होती है। जेटली यहां आईडीएफसी के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जेटली ने कहा कि किसी भी नियमन तंत्र के लिए हितधारकों से राय-मशविरा बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिससे तात्कालिक विचारों और राय पर नये सिरे से सोचने की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा, “इसीलिए आपने देखा होगा कि कई नियामक अब अपने दृष्टिकोण पत्र, नमूना मसौदे प्रकाशित करते हैं। वे अब सुनवाई करते हैं, लोगों से मिलते हैं, हितधारकों के समूह से मिलते हैं और पहले की चीजों को बेहतर बनाते हैं।” 

वित्त मंत्री ने कहा, “मेरे ख्याल से...अब हम एक अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहे हैं, जहां जमीनी स्थिति के आधार पर सभी नियमों में ढील दिये जाने और बदलाव की जरूरत है। मेरे ख्याल से यह पूरी प्रक्रिया में काफी सहायक सिद्ध होगा।” 

जेटली की यह टिप्पणी आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के शुक्रवार के उस बयान के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय बैंक के लिए ‘प्रभावी रूप से स्वतंत्रता’ की हिमायत की थी।

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