स्वास्थ्य, कृषि क्षेत्र के लिए जीएसटी परिषद जैसे संघीय ढांचे की जरूरत: जेटली

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[email protected] । Nov 29 2018 5:56PM

इससे संप्रग सरकार के कार्यकाल के उस एकमात्र वर्ष के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत से अधिक कमी आई है जब देश ने दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की थी।

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र के लिए जीएसटी परिषद जैसे एक संघीय ढांचे की जरूरत है। भारतीय उद्योग परिसंघ के स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने उम्मीद जतायी कि स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐसा संघीय ढांचा बनाए जाने से कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में राज्यों से कम प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा। फिर राज्यों को योजनाएं लागू करनी होंगी जबकि केंद्र सरकार उसमें केवल सहयोग करेगी।

जेटली ने कहा, ‘‘ माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के मामले में संघीय ढांचे का प्रयोग कारगर रहा। ऐसे दो क्षेत्र और हैं जहां इस तरह के संघीय ढांचे की बहुत अधिक जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी के लिए संविधान ने यह व्यवस्था उपलब्ध करायी है। लेकिन जिन क्षेत्रों के लिए संविधान ने यह सुविधा नहीं दी है, वहां राजनीतिक परिपक्वता से सरकारें इस प्रयोग को अमलीजामा पहना सकती हैं।’’ इस तरह की संघीय व्यवस्था की जरूरत पर बल देते हुए जेटली ने कहा कि अभी राज्य और केंद्र, दोनों ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी-अपनी योजनाएं चलाते हैं।

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हालांकि यह व्यवस्था कृषि क्षेत्र में कैसे लाभ पहुंचाएगी, इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के अपने अस्पताल हैं, जबकि केंद्र सरकार पूरे देश में ‘उत्कृष्ट संस्थान’ स्थापित कर रही है। केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत लागू की है जबकि राज्यों के पास भी ऐसी ही योजनाएं हैं। जेटली ने कहा कि इन सभी को मिलाए जाने की जरूरत है, ताकि इसके संयुक्त लाभ देश की बीमार आबादी को मिल सकें। निश्चित तौर पर इसका क्रियान्वयन राज्य ही करेंगे और केंद्र उसमें केवल सहयोग करेगा।

जेटली ने कहा, ‘‘यदि संघीय ढांचा बन जाता है, तो फिर मेरी योजना तुम्हारी से बेहतर होने जैसे विषय विवाद का मुद्दा नहीं होंगे। यह एक कल्याण से जुड़ा मुद्दा या मेरे राज्य के मरीज, तुम्हारे राज्य के मरीजों से बेहतर होने का मुद्दा है। यदि वास्तव में केंद्र और राज्यों के बीच इस तरह का एक संघीय ढांचा बनता है तो बेहतर समन्वय के चलते हर राज्य को फायदा होगा। उनके पास अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी।’’

जेटली ने पूर्व संप्रग शासन के जीडीपी आंकड़ों में संशोधन का किया बचाव, कहा सीएसओ भरोसेमंद संगठन

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व संप्रग शासन के दौरान जीडीपी वृद्धि दर में संशोधन का बचाव करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) एक विश्वसनीय संस्थान है और वित्त मंत्रालय से अलग स्वतंत्र रूप से काम करता है। सीएसओ ने कल संशोधित आंकड़ा जारी किया। मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के साथ बुधवार को सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों को 2004-05 के आधार वर्ष के बजाए 2011-12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया।

जेटली ने कहा कि सीएसओ एक भरोसेमंद संस्थान है जिसकी आलोचना कहीं से भी ठीक नहीं है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को जीडीपी के आंकड़ों में संशोधन को ‘बेहुदा मजाक’ करार दिया था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, ‘‘नीति आयोग का संशोधित जीडीपी आंकड़ा मजाक है। यह बेहुदा मजाक है...।’’ जेटली ने कहा कि जब सीएसओ ने 2012-13 और 2013-14 के लिये वृद्धि दर का आंकड़ा संशोधित किया था तब उनकी सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया था। उन्होंने कहा कि सीएसओ ने वृद्धि दर के आंकड़े में संशोधन को लेकर उसी मानदंड को अपनाया है।


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सीएसओ ने बुधवार को पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दस साल के कार्यकाल के अधिकतर वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया। इससे संप्रग सरकार के कार्यकाल के उस एकमात्र वर्ष के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत से अधिक कमी आई है जब देश ने दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की थी। इसके अलावा 9 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर वाले तीन वित्त वर्ष के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत की कमी आई है। 

इसमें आंकड़ों को 2004- 05 के आधार वर्ष के बजाय 2011- 12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया गया है, ताकि अर्थव्यवस्था की अधिक वास्तविक तस्वीर सामने आ सके। सीएसओ के संशोधित आंकड़ों के अनुसार 2010-11 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही थी जबकि इसके पहले 10.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।

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