भारत में शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए नितिन गडकरी ने शेयर किए ये टिप्स

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[email protected] । Feb 13 2020 5:39PM

केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन जयराम गडकरी ने ऐसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन एवं टनलिंग से संबंधित इस परामर्शक कार्यक्रम का शीर्षक था− ''एन्फोर्समेंट ऑफ कॉन्ट्रैक्ट्स फॉर अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन एंड टनलिंग''। मंत्री महोदय ने प्रतिस्पर्धा की भी हिमायत की और इस दिशा में उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर की।

नई दिल्ली। ''यदि हमें उत्कृष्ट इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है तो हमें दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली सर्वश्रेष्ठ विधियों, टेक्नोलॉजी को उपयोग में लाना होगा, निर्माण की लागत घटानी होगी और निर्माण की क्वालिटी में सुधार लाना होगा। हमें कूप−मंडूक बनकर काम करने की आदत से छुटकारा पाना होगा और इस क्षेत्र में ज्यादा पारदर्शिता लानी होगी जिससे कि इंफ्रास्ट्रक्चर को आर्थिक रूप से संवहनीय बनाया जा सके,'' यह कहना था सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के माननीय केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन जयराम गडकरी का। वह ऐसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन एवं टनलिंग से संबंधित इस परामर्शक कार्यक्रम का शीर्षक था− 'एन्फोर्समेंट ऑफ कॉन्ट्रैक्ट्स फॉर अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन एंड टनलिंग'। 

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मंत्री महोदय ने प्रतिस्पर्धा की भी हिमायत की और इस दिशा में उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता भी जाहिर कि की तकनीकी और वित्तीय योग्यता में ढील दी जाएगी। उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि दोषयुक्त डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स) की वजह से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं और जो लोग दोषयुक्त डीपीआर जमा करा रहे हैं उन्हें सज़ा देने के लिए नियम व कानून बनाए जाने चाहिए। 

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सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री श्री वी के सिंह ने यह कार्यक्रम आयोजित करने के लिए ऐसोचैम को बधाई दी जिसमें यह चर्चा हो रही है कि कॉन्ट्रैक्टरों को अपने कॉन्ट्रैक्ट में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और सरकार को कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं कि उनके काम को बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ''सुरंगों की अहमियत बढ़ती जाएगी क्योंकि इनसे दूरियां कम होती हैं, इनके आर्थिक लाभ हैं और खास तौर पर हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण के लिए ये अनुकूल हैं।''

तीव्र एवं बेहतर काम के लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी व बेहतर मशीनरी के इस्तेमाल की वकालत की। उन्होंने इस उद्योग से जुड़े लोगों से कहा कि वे बेहतर टेक्नोलॉजी लेकर आएं, अपनी कोशिशों के समन्वय व तालमेल से सर्वश्रेष्ठ संभव समाधान तलाशें ताकि देश की इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी समस्याओं को हल किया जाए और लागत घटाई जा सके।''

एनएचएआई के सदस्य श्री आर के पांडे और श्री आई के पांडे, रोड विंग−डीजी (आरडी) एवं एसएस, एमओआरटीएच ने ऐसोचैम की अनुशंसाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सच है कि जमीन के ऊपर होने वाले निर्माण कार्य का बिडिंग कॉन्ट्रैक्ट जमीन के नीचे होने वाले निर्माण कार्य व सुरंग बनाने के काम पर लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों स्थितयिां बिल्कुल भिन्न हैं। इसलिए एक अलग ईपीसी कॉन्ट्रैक्ट डॉक्यूमेंट तथा सुरंगों के डीपीआर हेतु अलग दिशानिर्देश तैयार करने की आवश्यकता है। आज उद्योग द्वारा जो अनुशंसाएं की गई हैं उनसे मंत्रालय को यथोचित कार्यवाही करने में मदद मिलेगी। 

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ऐसोचैम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा टीसीआईएल के प्रबंध निदेशक श्री विनीत अग्रवाल ने अपने स्वागत संबोधन में कहा, ''व्यापार करने की आसानी के मुद्दे पर भारत ने काफी सुधार किया है किंतु कॉन्ट्रैक्ट्स का बाध्यकारी ढंग से अमल कराने पर कोई खास सुधार नहीं हुआ है, जो कि इस रैकिंग का एक अहम पहलू है। कारोबार की आसानी के मामले में भारत की रैंकिंग 2017 में 172 थी, 2019 में सुधार के साथ वह 163वें स्थान पर पहुंच गया। पिछले 18 महीनों में ऐसोचैम बहुत से स्टेकहोल्डर कंसलटेशन किए हैं और उन चर्चाओं के आधार पर एक स्ट्रेटेजी पेपर तैयार किया गया है जिसमंें टनलिंग इंडस्ट्री की चिंताओं और सुझावों का संकलन किया गया है।''

उन्होंने आगे कहा, ''आज के आयोजन का उद्देश्य मिलजुल कर उद्योग की चिंताओं पर चर्चा करना और संभावित समाधानों पर विचार विमर्श करना है जिससे कि अंडरग्राउंड टनल तथा ऊंचे हिमालयी इलाकों में सुरंगों के, तय समय सीमा में, संवहनीय विकास में मदद मिल सकेगी। आज इतने प्रतिष्ठित कंपनी प्रमुखों की यहां उपस्थित हिमारे इस विश्वास की पुष्टि करती है कि सरकारी और निजी पक्षों के तालमेल में ही समाधान निहित है। मेरा मानना है कि टनलिंग जैसे खास उद्योग क्षेत्र की वृद्धि के लिए सरकारी सहयोग को बढ़ावा देने में आज का दिन ऐसोचैम की ऐतिहासिक भूमिका का दिन साबित होगा।''

इस आयोजन में एक विशेष सत्र भी रखा गया जिसमें उद्योग जगत के नुमाइंदों ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें अपने सुझाव दिए। इस सत्र का संचालन श्री आशुतोष चंदवार ने किया जो ऐसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन एवं टनलिंग के चेयरमैन तथा पीक इंफ्रा के सीटीओ हैं। इस पैनल चर्चा में शामिल हुएरू डॉ सुखबीर सिंह संधू आईएएस, चेयरमैन, एनएचएआईय श्री केशव कुमार पाठक, एमडी, एनएचआईडीसीएलय श्री आई के पांडे, रोड विंग−डीजी (आरडी) एसएस, एमओआरटी एंड एचय श्री आर के पांडे, सदस्य, एनएचएआईय ले.ज. हरपाल सिंह, एवीएसएम, वीएसएम महानिदेशक बीआरओ और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रतिनिधि आदि। ऐसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन टनलिंग के सदस्य तथा एफजीएस इंजीनिर्यस एंड इनोवेटर्स के एमडी ने भी उद्योग जगत के नुमाइंदों से बात की।

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धन्यवाद प्रस्ताव में ऐसोचैम के महासचिव श्री दीपक सूद ने कहा, ''इस कार्यक्रम को आयोजित करके हम बहुत प्रसन्न हैं। इस आयोजन में 100 से ज्यादा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय वास्तुविदों, कानूनी व इंफ्रास्ट्रक्चर सलाहकारों, अग्रणी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के नुमाइंदों, विद्वानों, सरकारी अधिकारियों तथा अन्य बहुत से लोगों ने हिस्सा लिया। मुझे यकीन है कि सरकार हमारी समस्याओं को तुरंत संज्ञान में लेते हुए मुद्दों का तीव्रता से निवारण करेगी और इस तरह हम अपने देश में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर निर्मित कर सकेंगे।''

ऐसोचैम के बारे में

ऐसोचैम ने सन् 1920 में भारतीय उद्योग के कल्याण हेतु अपनी कोशिशों का सफर शुरु किया। इसे प्रोमोटर चैम्बर्स ने स्थापित किया जो भारत के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 400 से अधिक चैम्बर्स और ट्रेड ऐसोसिएशनें इससे जुड़ी हुई हैं और यह भारत भर में 4.5 लाख से ज्यादा सदस्यों को सेवाएं दे रही है। ऐसोचैम भारतीय उद्योग के लिए ज्ञान का स्त्रोत बन कर उभरी है, जो ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में वृद्धि एवं विकास के आयामों को पुनरूपरिभाषित करने के लिए तैयार है। 

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