अब सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं राकेश टिकैत, जानिए क्या है पूरा मामला?

Rakesh Tikait

मान लीजिए अभी सरकार किसी चीज को बाहर से आयात करती है तो, उस पर आयात शुल्क बढ़ाकर उसका आयात कम कर सकती है। लेकिन अगर यह समझौता हो जाता है तो सरकार के पास से यह हक चला जाएगा। ऐसे में दूध, दाल, और अन्य चीजों का उत्पादन करने वाले किसानों को दिक्कत होगी।

राकेश टिकैत किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे, और कृषि कानूनों का जमकर विरोध किया। जिसके बाद सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर हो गई, किसानों के ही विरोध के चलते आखिरकार मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। अब राकेश टिकैट ने मोदी सरकार की एक और नीति की मुखालफत करनी शुरू कर दी है। आपको बता दें कि, केंद्र सरकार और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। अगर यह समझौता होता है तो, हमारे डेयरी क्षेत्र को ऑस्ट्रेलियाई डेयरी आयात के लिए खोल देगा। इसी पर राकेश टिकैत का कहना है कि अगर इस समझौते को लागू किया जाता है तो इसका व्यापक असर भारतीय किसानों डेरी के कर्मचारियों की जिंदगी पर पड़ेगा। इसी वजह से भारतीय किसान यूनियन इसका पुरजोर विरोध करता है। आपको बता दें, उन्होंने अपने ट्विटर से इसका विरोध करते हुए यह चीजें भी लिखी हैं।

 गौरतलब है कि, ऑस्ट्रेलिया और भारत काफी समय से लंबित इस व्यापार समझौते को 2022 के अंत तक अंतिम रूप देने पर राजी हुए हैं, इसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता ( सीईसीए) कहा गया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस समझौते के बारे में पहले ही बता चुके हैं कि, हम साल के अंत या नए साल की शुरुआत तक बहुत अच्छा अंतरिम समझौता कर सकते हैं। यह छोटा समझौता नहीं बल्कि व्यापक समझौता है। अब तक भारत में दुग्ध और कृषि को इस व्यापार से बाहर रखा था, लेकिन अब इसे भी मुक्त व्यापार में शामिल किया जा रहा है। आपको बता दें कि, इस बारे में ना ही राज्य सरकारों और ना ही किसानों को कोई सूचना है।

 रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप के तहत चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड से आयात होने वाली चीजों पर भारत को 74 फ़ीसदी शुल्क कम करना होगा। यही नहीं इसके अलावा जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान देशों से आयात की जाने वाले 90 फीसद वस्तुओं से शुल्क हटाना होगा। इसीलिए कहा जा रहा है कि, RCEP पर हस्ताक्षर करने के बाद देश में सस्ती चीनी वस्तुओं आने लगेंगी। इसीलिए किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।

 मान लीजिए अभी सरकार किसी चीज को बाहर से आयात करती है तो, उस पर आयात शुल्क बढ़ाकर उसका आयात कम कर सकती है। लेकिन अगर यह समझौता हो जाता है तो सरकार के पास से यह हक चला जाएगा। ऐसे में दूध, दाल, और अन्य चीजों का उत्पादन करने वाले किसानों को दिक्कत होगी। इसीलिए किसान और राकेश टिकैत इस बात का विरोध कर रहे हैं।

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