रुपये में सुव्यवस्थित गिरावट से बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा, निर्यात को मिलेगी गति: विश्वबैंक

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[email protected] । Oct 11 2018 6:35PM

विश्वबैंक का मानना है कि सुव्यवस्थित तरीके से रुपये की विनिमय दर में गिरावट से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और पूंजी बाजार में दबाव कम हो सकेगा।

वॉशिंगटन। विश्वबैंक का मानना है कि सुव्यवस्थित तरीके से रुपये की विनिमय दर में गिरावट से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और पूंजी बाजार में दबाव कम हो सकेगा। साथ ही वैश्विक बाजार में अच्छी मांग को देखते हुये इससे निर्यात को भी गति मिलेगी। विश्वबैंक के एक अधिकारी ने कहा कि यदि इसे सही तरीके से किया जाए, तो यह एक ‘सकारात्मक घटनाक्रम’ होगा।

विश्वबैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री मार्टिन रामा का यह बयान ऐसे समय आया है जब गुरूवार को कारोबार के दौरान रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 74.45 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया। रामा ने कहा, ‘हमारा मानना है कि रुपये में सुव्यवस्थित गिरावट से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इससे पूंजी बाजार में दबाव कुछ कम होगा।’ हाल के सप्ताह में रुपये की विनिमय दर में तीव्र गिरावट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विश्वबैंक रुपये में मूल्य ह्रास एक सकारात्मक घटनाक्रम के रूप में देखता है, बशर्ते इसे सही तरीके से किया जाए। 

रामा ने कहा कि दक्षिण एशिया के देश संभवत: अपनी मुद्रा के मूल्य में गिरावट को धीमा करेंगे क्योंकि इससे मुद्रास्फीति बढ़ती है और यह लोकप्रिय उपाय नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रुपये में गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। विश्वबैंक के अर्थशास्त्री ने कहा, ‘अभी कुछ कहना जल्दबाजी है लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि यूरोप और खासकर अमेरिका में कच्चे माल की मजबूत मांग के साथ प्रतिस्पर्धी विनिमय दर से भारत को व्यापार में मदद मिलेगी और निर्यात बढ़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारत को बल्कि क्षेत्र के अन्य देशों को भी लाभ होगा।’

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