आधार सत्यापन के लिए बायोमेट्रिक से बेहतर हो सकता है ओटीपी प्रमाणन

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[email protected] । Nov 2 2018 9:18AM

दरअसल, एक मोबाइल शॉप मालिक ने गैरकानूनी क्रियाकलापों में इस्तेमाल के लिए मासूम ग्राहकों के नाम पर नये सिम कार्ड जारी करने के लिए आधार सत्यापन प्रणाली का दुरुपयोग किया था।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आधार सत्यापन प्रणाली में ‘‘खामियों’’ को दूर करने के लिए बायोमेट्रिक की जगह ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) प्रमाणन के इस्तेमाल जैसी दो न्यायमित्रों की सिफारिशों को अपनाने का सुझाव दिया। दरअसल, एक मोबाइल शॉप मालिक ने गैरकानूनी क्रियाकलापों में इस्तेमाल के लिए मासूम ग्राहकों के नाम पर नये सिम कार्ड जारी करने के लिए आधार सत्यापन प्रणाली का दुरुपयोग किया था।

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दुकानदार ने एक सिम के आधार सत्यापन के दौरान ग्राहक के अंगूठे के निशान दो बार लिये थे और कहा था कि पहली बार में यह प्रक्रिया सही ढंग से नहीं हो पाई और इसके बाद दूसरी बार में प्रमाणन किया गया जिसका नया कनेक्शन जारी करने में इस्तेमाल किया गया जो किसी अन्य व्यक्ति को सौंप दिया गया। उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए इस घटना पर संज्ञान लिया था।

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मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने गुरुवार को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और अधिवक्ता ऋषभ अग्रवाल द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को रिकार्ड में लिया। पीठ ने केन्द्र, दिल्ली सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से इस रिपोर्ट पर अपना जवाब देने को कहा। इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की गई। पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि इन्हें (सुझाव) माना जाना चाहिए।’’ संयुक्त रिपोर्ट में दोनों वकीलों ने कहा कि बायोमेट्रिक के इस्तेमाल की जगह ओटीपी प्रमाणन को तरजीह दी जानी चाहिए।

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