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देशवासियों ने 2020 में मोबाइल पर 39 फीसदी ज्यादा समय किया व्यतीत, 4.6 घंटे का है औसत : रिपोर्ट
- अनुराग गुप्ता
- जनवरी 14, 2021 15:26
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रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना महामारी से बचने के लिए लोगों ने अपना ज्यादातर समय घरों पर गुजारा। ऐसे में उन्होंने टाइम पास करने के लिए मोबाइल का सहारा लिया और इतना ज्यादा खो गए कि रोजाना औसत 4.6 घंटे फोन में ही लगे रहे।
नयी दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते लोगों ने अपना ज्यादतर समय मोबाइल फोन में गुजारा। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एप एनी की एक रिपोर्ट् सामने आई है जिसमें यह दावा किया जा रहा है। अंग्रेजी समाचार पत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में मोबाइल फोन पर समय 39 फीसदी ज्यादा बढ़ा है। जिसका मतलब है कि रोजाना लोगों ने 4.6 घंटे मोबाइल फोन पर व्यतीत किया। जबकि 2019 में यह महज 3.3 घंटे था।
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कोरोना महामारी से बचने के लिए लोगों ने अपना ज्यादातर समय घरों पर गुजारा। ऐसे में उन्होंने टाइम पास करने के लिए मोबाइल का सहारा लिया और इतना ज्यादा खो गए कि रोजाना औसत 4.6 घंटे फोन में ही लगे रहे। वहीं, पिछले साल ऐप डाउनलोड की संख्या में भी बढ़ोत्तरी देखी गई है।
पहले की तुलना में भारत में ऐप डाउनलोड में 30 फीसदी का इजाफा हुआ और यह संख्या बढ़कर 24.27 अरब पर पहुंच गई। साल 2020 में एप स्टोर कंज्यूमर स्पेंड में भारत की रैंकिंग 25 नंबर पर है लेकिन इसमें सालाना आधार पर 35 फीसदी की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक ऐप परचेज और सबक्रिप्शन के माध्यम से यूजर्स ने करीब 500 मिलियन डॉलर खर्च किए।
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ऐप डाउनलोड के मामले में चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। रिपोर्ट के मुताबिक एप एनी के सीनियर इनसाइट मैनेर लेक्सी सिडो ने बताया कि पिछले साल डाउनलोड किए गए ऐप्स के मामले में हर पांच में से दो गेम ऐप डाउनलोड किए गए हैं।
कृपया ध्यान दीजिए ! ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर बढ़ सकता है इंश्योरेंस प्रीमियम
- अनुराग गुप्ता
- जनवरी 20, 2021 16:03
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कमेटी ने सुझाया है कि मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम में पांचवी धारा को भी जोड़ा जाए। जिसमें ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की बात कही गई है। आपको जानकारी दे दें कि नया वाहन खरीदने पर ट्रैफिक नियमों के उल्लघंन वाला प्रीमियम नहीं भरना पड़ेगा।
नयी दिल्ली। वाहन चालको को अब सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि बार-बार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने उन्हें भारी पड़ सकता है। क्योंकि इंश्योरेंस रेगुलेटर बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने कुछ सुझाव दिए हैं। ऐसे में ट्रैफिक नियमों का बार-बार उल्लंघन करने वालों को ज्यादा मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम भरना पड़ सकता है। दरअसल, इरडा की एक वर्किंग कमेटी ने ज्यादा प्रीमियम वसूलने की सिफारिश की है।
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कमेटी ने सुझाया है कि मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम में पांचवी धारा को भी जोड़ा जाए। जिसमें ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की बात कही गई है। आपको जानकारी दे दें कि नया वाहन खरीदने पर ट्रैफिक नियमों के उल्लघंन वाला प्रीमियम नहीं भरना पड़ेगा। दरअसल, शराब पीकर गाड़ी चलाने, गलत जगह पर पार्किंग करने इत्यादि जैसे उल्लंघनों के आधार पर प्रीमियम तय होगा। अभी सिर्फ इसकी सिफारिश की गई है। हालांकि, अंतिम निर्णय इरडा को ही लेना है।
बीमा कंपनियों को कैसे मिलेगी जानकारी ?
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि किस वाहन ने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया और किसने नहीं। इसके बारे में बीमा कंपनियों को कैसे पता चलेगा। ज्यादा मत सोचिए, इसकी भी पूरी व्यवस्था है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीमा कंपनियों को ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन से जुड़े चालान के बारे में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) से जानकारी मिल सकेगी।
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ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को नंबर दिए जाएंगे। जैसे शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को 100 प्वाइंट तो गलत जगह पर गाड़ी को पार्क करने पर 10 प्वाइंट दिए जाएंगे। इन्हीं नंबरों के आधार पर आप पर पेनाल्टी लगेगी और प्रीमियम की राशि तय की जाएगी। जिसका मतलब साफ है कि ज्यादा पेनाल्टी नंबर होने पर ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है।
ई-वाणिज्य क्षेत्र में एफडीआई नियमों में बदलाव करेगी सरकार
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 20, 2021 12:09
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सरकार ई-वाणिज्य क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) केनियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है जिनके तहत इस क्षेत्र की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वाली ऐसी कंपनियों को उन विक्रेताओं से उत्पाद खरीदने से रोकना है जिनमें उनकी खुद अथवा उनकी मूल कंपनी की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी है।
नयी दिल्ली। सरकार ई-वाणिज्य क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) केनियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है जिनके तहत इस क्षेत्र की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वाली ऐसी कंपनियों को उन विक्रेताओं से उत्पाद खरीदने से रोकना है जिनमें उनकी खुद अथवा उनकी मूल कंपनी की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी है।
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सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सरकार ने इससे पहले दिसंबर 2018 में उत्पादों की आनलाइन बिक्री के लिये मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को उन कंपनियों के उत्पाद बेचने से रोका था जिनमें उनकी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है।मौजूदा नीति के मुताबिक आनलाइन बिक्री मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है लेकिन उनके लिये गोदामों में रखे तैयार माल की बिक्री करने जैसी गतिविधियां चलाने का निषेध है।
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सरकार का एफडीआई वाली ई- वाणिज्य कंपनियों के मामले में नियमों में बदलाव के बारे में विचार करना महत्वपूर्ण है। क्योंकि देश के व्यापारियों का संगठन कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि ई- वाणिज्य कंपनियां फेमा और एफडीआई नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। कैट के मुताबिक वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा नियमों के कथित उल्लंघन संबंधी ज्ञापन को प्रवर्तन निदेशालय और रिजर्व बैंक को जरूरी कार्रवाई के लिये भेज दिया है।
VSNL में अपनी बची हिस्सेदारी इस वित्त वर्ष में बेच देगी सरकार
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 20, 2021 11:44
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सरकार टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड (टीसीएल) (पूर्व में वीएसएनएल) में अपनी समूची शेष 26.12 प्रतिशत हिससेदारी को चालू वित्त वर्ष में ही बिक्री पेशकश और रणनीतिक बिक्री के जरिये बेचेगी।
नयी दिल्ली। सरकार टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड (टीसीएल) (पूर्व में वीएसएनएल) में अपनी समूची शेष 26.12 प्रतिशत हिससेदारी को चालू वित्त वर्ष में ही बिक्री पेशकश और रणनीतिक बिक्री के जरिये बेचेगी। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एक नोटिस में कहा है कि शेयरहोल्डिंग के एक हिस्से को बिक्री पेशकश के जरिये बेचा जायेगा और शेष हिस्सेदारी जो भी बची होगी उसे रणनीतिक भागीदार पानाटोन फिनवेस्ट लिमिटेड को पेश किया जायेगा।
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दीपम ने कहा कि यह सौदा 20 मार्च 2021 को पूरा कर लिया जायेगा। टाटा कम्युनिकेशंस का शेयर बीएसई में पिछले दिन के बंद भाव के मुकाबले 1.08 प्रतिशत बढ़कर 1,129.95 रुपये पर बंद हुआ। टीसीएल में मौजूदा 26.12 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचकर सरकार को 8,400 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी विदेश संचार निगम लिमिटेड (वीएसएनएल) का 2002 में निजीकरण किया गया था।
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कंपनी के 25 प्रतिशत शेयर प्रबंधन नियंत्रण सौंपने के साथ रणनीतिक भागीदार पानाटोन फिनवेस्ट लिमिटेड को बेचे गये थे। बाद में इस कंनी का नाम बदलकर टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड कर दिया गया। टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड की शेयरहोल्डिंग में प्रवर्तक की हिस्सेदारी 74.99 प्रतिशत है जिसमें से भारत सरकार के पास 26.12 प्रतिशत, पैनाटोन फिनवेस्ट के पास 34.80 प्रतिशत, टाटा संस के पास 14.07 प्रतिशत है और शेष 25.01 प्रतिशत हिस्सेदारी जनता के पास है।

