PNB scam: एसोचैम ने कहा, बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से कम हो

PNB scam: Assocham said, government share in banks is less than 50 percent
[email protected] । Feb 18 2018 2:41PM

ऐसे में सरकार के लिये करदाताओं के पैसे से इन बैंकों को संकट से उबारते रहने की एक सीमा है। उल्लेखनीय है कि सरकार खुद इन बैंकों की सबसे बड़ी शेयरधारक है।

नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में लेनदेन में 11,400 करोड़ रुपये धोखाधड़ी का ताजा मामला सामने आने के बाद देश के एक प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि सरकार को बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से कम कर देनी चाहिये ताकि सभी सरकारी बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों की तरह जमाकर्ताओं के हितों को सुरक्षित रखते हुये अपने शेयरधारकों के प्रति पूर्णजवाबदेही बरतते हुये काम कर सकें। एसोचैम ने यहां जारी वक्तव्य में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एक के बाद दूसरे संकट में फंसते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार के लिये करदाताओं के पैसे से इन बैंकों को संकट से उबारते रहने की एक सीमा है। उल्लेखनीय है कि सरकार खुद इन बैंकों की सबसे बड़ी शेयरधारक है।

उद्योग मंडल ने कहा है कि इन बैंकों में शीर्ष पदों पर सरकारी नौकरी के बाद सेवा विस्तार के तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों को बिठाया जाता है। ऐसे में वरिष्ठ प्रबंधन का काफी समय सरकारी शीर्ष पदों पर बैठे नौकरशाहों के निर्देशों पर अमल करने में ही बीत जाता है फिर चाहे ये मुद्दे सामान्य ही क्यों न हों। एसोचैम ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में बैंक प्रबंधन का ध्यान उसके मूल बैंकिंग कार्यों की तरफ नहीं जा पाता है। ‘‘समस्या तब और बढ़ गई है जब इन बैंकों में आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ा है। यह प्रौद्योगिकी बैंकों के लिये वरदान या फिर विनाश दोनों ही हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर करती है कि बैंक इस प्रौद्योगिकी का कितने सक्षम तरीके से इस्तेमाल करते हैं।’’ 

एसोचैम ने कहा है कि जैसे ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से नीचे आयेगी वैसे ही बैंकों के शीर्ष प्रबंधन की जवाबदेही और जिम्मेदारी दोनों ही बढ़ जायेगी और उनकी स्वायत्ता भी बढ़ेगी। उसके बाद बैंकों का निदेशक मंडल सही मायनों में नीतिगत निर्णय लेगा और बैंक के सीईओ निर्देश के लिये नौकरशाहों की तरफ देखने के बजाय पूरे अधिकारों के साथ बैंक को चलायेंगे। एसोचैम के महासिचव डी.एस. रावत ने कहा, ‘‘भारतीय उद्योग जगत पर भी इसकी जिम्मेदारी है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। एक पहलू बैंक प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करता है तो दूसरा पहलू कर्ज लेने वाली कंपनियों, खासतौर से बड़ी कंपनियों का है। कोई भी खराब घटना से दोनों पक्षों को धब्बा लगता है। समय है कि उद्योगों को भी अपने भीतर झांकना चाहिये। एक तरफ जब हम बैंकों के लिये अधिक स्वायत्ता की बात कर रहे हैं वहीं हम उद्योगों से भी साफ सुथरा बैंकिंग और व्यावसायिक व्यवहार चाहते हैं।’’ एसोचैम ने निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र सहित समूचे वित्तीय क्षेत्र में साफ सुथरा कारोबार करने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक का आह्वान किया है कि वह आगे आकर इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाये। उद्योग मंडल ने कहा है कि वह भी सभी पक्षों तक पहुंचने में सक्रिय भूमिका निभायेगा और सरकार के साथ काम करने में उसने प्रसन्नता जाहिर की है।

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