भीषण गर्मी और कोयले की कमी से देश के विभिन्न राज्यों में गहराया बिजली संकट, दो से आठ घंटे की कटौती

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देश में बिजली की कुल कमी 62.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा मार्च में कुल बिजली की कमी से अधिक है। इस संकट के केंद्र में कोयले की कमी है। देश में कोयले से 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है। सरकार दावा कर रही कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है।

नयी दिल्ली। भीषण गर्मी और कोयले की किल्लत के चलते देश के कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है। बिजली संयंत्रों में कम उत्पादन के बीच राज्य भारी मांग को पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक उपभोक्ताओं को दो घंटे से आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। बिजली कटौती से कारखाने सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। देश में मार्च में रिकॉर्ड गर्मी के बाद अप्रैल में भी अत्यधिक गर्मी जारी है। ऐसे में बिजली की मांग अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। देश में बिजली की कुल कमी 62.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा मार्च में कुल बिजली की कमी से अधिक है। इस संकट के केंद्र में कोयले की कमी है। देश में कोयले से 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है। 

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सरकार दावा कर रही है कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है, लेकिन बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार नौ वर्षों में सबसे कम हैं। इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के साथ कोयले के आयात में गिरावट आई है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने कहा कि देशभर के ताप संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहे हैं, जो देश में बिजली संकट का संकेत है। देश में 27 अप्रैल को बिजली की अधिकतम मांग 200.65 गीगावॉट रही, जबकि व्यस्त समय में बिजली की कमी 10.29 गीगावॉट थी।

ताजा आंकड़ों से पता चला है कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की निगरानी वाले 147 संयंत्रों में 26 अप्रैल को कोयला भंडार मानक का 25 प्रतिशत था। भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 3,000 मेगावॉट बिजली की कमी है। लगभग 23,000 मेगावॉट की मांग के मुकाबले आपूर्ति सिर्फ 20,000 मेगावॉट है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में बिजली कटौती की जा रही है। कश्मीर घाटी अपने सबसे बुरे बिजली संकट का सामना कर रही है। यहां रमजान के पवित्र महीने में लंबे समय तक कटौती ने लोगों को परेशान कर दिया है।

बिजली विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अप्रैल में आपूर्ति लगभग 900 से 1,100 मेगावॉट थी, जबकि मांग 1,600 मेगावॉट थी। तमिलनाडु में राज्य सरकार ने कहा कि केंद्रीय ग्रिड से 750 मेगावॉट की कमी के कारण राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती हुई। आंध्र प्रदेश को मांग के मुकाबले लगभग पांच करोड़ यूनिट बिजली की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब के होशियारपुर में अनियमित बिजली आपूर्ति के विरोध में किसानों ने वाहनों की आवाजाही रोक दी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकार किया कि राज्य मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है और बाजार से बिजली खरीदने के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया गया है। 

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ओडिशा सरकार ने दावा किया कि अप्रैल के अंत तक राज्य में बिजली संकट खत्म हो जाएगा। राज्य में बड़ी आबादी ने गर्मी के बीच बिजली कटौती की शिकायत की है। बिहार और उत्तराखंड में भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगातार बिजली कटौती हो रही है। राजस्थान में बिजली की मांग में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे प्रतिदिन पांच से सात घंटे बिजली की कटौती की जा रही है। हरियाणा के बिजली मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने कहा कि अगले कुछ दिनों में उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली उपलब्ध हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस समय मांग के मुकाबले आपूर्ति में 300 मेगावॉट से अधिक की कमी है, जिसे शनिवार तक पूरा कर लिया जाएगा। दूसरी ओर मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार के अधिकारियों ने दावा किया कि राज्य में कोई निर्धारित लोड शेडिंग नहीं है। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी ऐसा ही दावा किया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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