जलवायु परिवर्तन से देश को बचाने के लिए सिंचित क्षेत्र बढ़ाना होगा-CEA
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमणियन ने देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए देश में सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत बढ़ाने की जरुरत बतायी है।
नयी दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमणियन ने देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए देश में सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत बढ़ाने की जरुरत बतायी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिए जाने से यह स्पष्ट है कि सरकार जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रति गंभीर है। वह यहां विश्वबैंक की ‘दक्षिण एशिया के तप्तस्थल: तापमान वृद्धि और वर्षा में बदलाव का जीवन मानकों पर प्रभाव’ रपट के जारी होने के मौके पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश के नीति निर्माता जलवायु बदलाव के मुद्दे पर अधिक ध्यान दे रहे हैं और ऐसे में विकास और जलवायु परिवर्तन को साथ जोड़कर देखने की जरुरत है। सुब्रहमणियन ने कहा कि मौजूदा समय में देश में सिंचित भूमि की हिस्सेदारी 50% से कम है। यह देखा गया है कि सिंचित क्षेत्र में गैर - सिंचित क्षेत्र के मुकाबले जलवायु परिवर्तन का असर अपेक्षाकृत कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘ सिंचित क्षेत्र के बजाय अन्य क्षेत्रों में तापमान और मौसमी बदलाव का प्रभाव ज्यादा गंभीर है। सिंचित क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम है। रपट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की लागत देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.8% के बराबर होगी और 2050 तक यह देश की आधी से ज्यादा आबादी के जीवन स्तर को भी प्रभावित करेगी। उल्लेखनीय है कि इन तीन दशकों में एक से दो प्रतिशत सालाना की दर से तापमान बढ़ने की उम्मीद है। यदि कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं तो देश का तापमान डेढ़ से तीन प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
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