Rakesh Jhunjhunwala: परिवार से मिली थी कारोबारी समझ, जानिए कैसे बने शेयर बाजार के बिग बुल
राकेश को बचपन से ही कारोबारी समझ मिलना शुरू हो गई थी। बता दें कि उनके पिता एक आयकर अधिकारी थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके पिता हमेशा समझाते रहे है कि कैसे खबरों का असर शेयर बाजार पर पड़ता है।
भारत के वारेन बफे राकेश झुनझुनवाला का 62 साल की उम्र में निधन हो गया है। काफी समय से वह बीमार चल रहे थे। बिग बुल के नाम से शेयर बाजार की दुनिया में अपनी धाक जमाकर रखने वाले राकेश ने उस दौर में ट्रेडिग शुरू की थी जब हर्षद मेहता को देश का बिग बुल कहा जाता था। राकेश को बचपन से ही कारोबारी समझ मिलना शुरू हो गई थी। बता दें कि उनके पिता एक आयकर अधिकारी थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके पिता हमेशा समझाते रहे है कि कैसे खबरों का असर शेयर बाजार पर पड़ता है।
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साल 1985 में राकेश ने पहली बार शेयर बाजार पर दांव लगाया था। ये ऐसा समय था जब वह सिडनहैम कॉलेज में पढाई करते थे और उन्होंने सीए की पढ़ाई करने के साथ-साथ शेयर बाजार में निवेश करने और उनकी बारिकियां समझने में अपना पूरा लगया। राकेश ने मात्र 5 हजार रुपए से शेयर बाजार मे निवेश करना शुरू किया था। शुरूआती दिनों में राकेश को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ा लेकिन बाद में उन्हें टाटा टी से सबसे पहले मुनाफा मिला। उस कंपनी में उनका पैसा तिगुना बढ़ गया था। राकेश ने मात्र 43 रुपए की कीमत पर टाटा टी के 5000 शेयर खरीदें थे। 1986 में उन्हें इन शेयरों से 5 लाख का मुनाफा हुआ।
शॉर्ट सेल का माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले राकेश ने खुद एक इटंरव्यू में खुलासा किया था कि उन्होंने शेयर बेचकर बहुत पैसा कमाया। साल 1992 में जब हर्षद मेहता घोटाले का खुलासा हुआ था तो उस समय शेयर बाजार बिल्कुल नीचे चला गया था। उस समय राकेश ने खूब शॉर्ट सेलिंग की थी। जानकारी के लिए बता दें कि राकेश का सबसे पसंदीदा स्टॉक घड़ी और आभूषण बनाने वाली कंपनी टाइटन की रही है।
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इस कंपनी में पैसा लगाकर राकेश ने खूब कमाई की थी। 31 मार्च 2021 को राकेश के पास टाइटन कंपनी, टाटा मोटर्स, क्रिसिल, ल्यूपिन, फोर्टिस हेल्थकेयर, नज़र टेक्नोलॉजीज, फेडरल बैंक, डेल्टा कॉर्प, डीबी रियल्टी और टाटा कम्युनिकेशंस सहित 37 स्टॉक थे। अपने अकासा एयरलाइन को लॉन्च करना उनका एक ड्रीम प्रोजेक्ट था और उनका सपना पूरा हुआ। 7 अगस्त 2022 को मुंबई से अहमदाबाद के बीच अकासा ने पहली उड़ान भरी। इसके ठीक 7 दिनों बाद राकेश ने इस दुनिया में अंतिम सांस ली।
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