वैलेंटाइन के दिन रतन टाटा ने किया अपनी गर्लफ्रेंड को याद, खोले अनसुने राज़

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निधि अविनाश । Feb 14 2020 6:10PM

टाटा ग्रुप के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा ने वैंलेटाइन से एक दिन पहले अपनी बहुत ही प्यारी लव स्टोरी शेयर की है। उन्होंने फेसबुक पेज ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे में अपने माता-पिता के बीच के सबंध और दादी के साथ की नजदीकियों का भी जिक्र किया है।

नई दिल्ली। टाटा ग्रुप के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा को कौन नहीं जानता है, यह वो शख्स हैं जिनका नाम पूरी दुनिया जानती है। आजकल वह अपनी जिंदगी के बेहतरीन पल सोशल मीडिया पर काफी शेयर कर रहे हैं, चाहे उनकी जवानी की जींस और शर्ट में पिक्स हो या इंफोसिस के ceo का उनका आदर के साथ पैर छूने वाली तस्वीर हो। उनकी हर एक चीज सोशल मीडिया में बस एक क्लिक से आग की तरह वायरल होने लगती है। अब उन्होंने वैंलेटाइन से एक दिन पहले अपनी बहुत ही प्यारी लव स्टोरी शेयर की है। उन्होंने फेसबुक पेज ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे में अपने माता-पिता के बीच के सबंध और दादी के साथ की नजदीकियों का भी जिक्र किया है। 

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रतन टाटा को हुआ था प्यार

1962 का वो दौर उनकी जिंदगी के सबसे बेहतरीन सालों में से एक था। रतन टाटा ने पढ़ाई के लिए अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। उन्होंने वहां आर्किटेक्चर की डिग्री ली। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए बताया कि वो समय काफी खूबसूरत था। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक अच्छी आर्किटेक्चर कंपनी में नौकरी मिलना और खुद की कार होना उस वक्त उनकी जिंदगी के बेहतरीन पलों में से एक था लेकिन इन सब में से सबसे खास थी वो लड़की जिनसे उन्हें प्यार हो गया था। प्यार इतना था कि वह उस लड़की से शादी करने का भी फैसला कर चुके थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, टाटा की दादी की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें लॉस एंजिल्स छोड़ना पड़ा और वह वापस भारत लौट आए। वह शादी करना चाहते थे और अपने प्यार को भारत लाना चाहते थे, उन्होंने सोचा हुआ था कि जिससे शादी करना चाहते हैं वह भी उनके साथ आएगी। लेकिन भारत-चीन युद्ध की वजह से लड़की के माता-पिता तैयार नहीं हुए और उनका रिश्ता खत्म हो गया।

10 साल की उम्र से दादी ने कि परवरिश

हर बच्चे की तरह उनका बचपन भी मजेदार गुजरा लेकिन जब वह 10 साल के हुए तो उन्हें अपने माता-पिता के तलाक का भी सामना करना पड़ा। इतने बुरे वक्त में रतन टाटा को उनकी दादी नवजबाई टाटा ने संभाला। उन्होंने उनकी परवरिश की। इन दिनों को याद करते हुए टाटा ने बताया कि तलाक जैसी चीजें उस वक्त काफी बड़ी मानी जाती थी और कैसे उन्हें और उनके भाई को स्कूल में दिक्कतें हुईं। उसके बावजूद दोनों भाईयों का बचपन खुशी से बीता। दूसरे विश्व-युद्ध के बाद रतन टाटा की दादी टाटा भाइयों को छुट्टियां मनाने लंदन ले जाती थी। रतन टाटा को असली जिंदगी की अहमियत के बारे में भी उनकी दादी ने बताया। वो दादी ही थी जिन्होंने यह बताया कि प्रतिष्ठा सब चीजों से ऊपर होती है। रतन टाटा की दादी की वजह से ही वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्विच कर आर्किटेक्ट में एडमिशन ले पाए। दादी ने रतन टाटा को यह भी सिखाया कि कैसे अपनी बात रखने के लिए विनम्रता और शालीनता को अपनाना जरूरी होता है। 

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विपरीत विचारधारा के थे रतन टाटा और उनके पिता

रतन टाटा ने अपने पिता के साथ के रिश्तों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनकी सोच उनके पिता से बिल्कुल मेल नहीं खाती थी। कॅरियर हो या पढ़ाई से कुछ अलग सीखना हो, हर चीजों में रतन टाटा और उनके पिता की सोच नहीं मिलती थी। रतन टाटा वायलिन सीखना चाहते थे लेकिन उनके पिता पियानो पर जोर देते रहे। वह कॉलेज की पढ़ाई अमेरिका में करना चाहते थे लेकिन उनके पिता उन्हें यूके भेजना चाहते थे। टाटा आर्किटेक्ट बनना चाहते थे लेकिन उनके पिता की इच्छा उन्हें इंजीनियर बनाने की थी। 

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