RBI ने डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के अंतिम विलय की योजना को अगले सप्ताह के लिये टाल दिया

Laxmi Vilas Bank

लक्ष्मी विलास बैंक में प्रवर्तकों के पास महज 6.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें 4.8 प्रतिशत हिस्सेदारी केआर प्रदीप के पास तथा शेष दो प्रतिशत हिस्सेदारी अन्य तीन प्रवर्तक परिवारों एन राममित्रम, एनटी शाह और एसबी प्रभाकरन के पास है।

मुंबई। रिजर्व बैंक ने डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के अंतिम विलय की पक्की योजना की घोषणा को संभवत: अगले सप्ताह के लिये टाल दिया है। पहले केंद्रीय बैंक यह योजना शुक्रवार को जारी करने वाला था। केंद्रीय बैंक के एक अधिकारी के अनुसार, रिजर्व बैंक के अगले सप्ताह ऐसा करने की संभावना है। रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के ऊपर पाबदियां लगाने के साथ ही 17 नवंबर को उसके विलय का मसौदा भी जारी किया था। रिजर्व बैंक ने कहा था कि वह 20 नवंबर को अंतिम विलय योजना जारी करेगा। हालांकि 20 नवंबर की रात 10 बजे तक रिजर्व बैंक ने अंतिम योजना जारी नहीं की। संपर्क किये जाने पर रिजर्व बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-को बताया कि अब यह योजना अगले सप्ताह की शुरुआत में जारी की जायेगी। 

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लक्ष्मी विलास बैंक में प्रवर्तकों के पास महज 6.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें 4.8 प्रतिशत हिस्सेदारी केआर प्रदीप के पास तथा शेष दो प्रतिशत हिस्सेदारी अन्य तीन प्रवर्तक परिवारों एन राममित्रम, एनटी शाह और एसबी प्रभाकरन के पास है। बैंक में इंडियाबुल्स हाउसिंग की अगुवाई वाले संस्थागत निवेशकों की 20 प्रतिशत से कुछ अधिक तथा खुदरा शेयरधारकों की 45 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। अन्य संस्थागत निवेशकों में प्रोलिफिक फिनवेस्ट (3.36 प्रतिशत), श्रेई इंफ्रा फाइनेंस (3.34 प्रतिशत), कैपरी ग्लोबल एडवाइजरी सर्विसेज (2 प्रतिशत), एमएन दस्तूर एंड कंपनी (1.89 प्रतिशत), कैपिटल ग्लोबल होल्डिंग्स (1.82 प्रतिशत), ट्रिनिटी अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (1.61 फीसदी), बॉयेंस इंफ्रास्ट्रक्चर (1.36 फीसदी) और एलआईसी (1.32 फीसदी) शामिल हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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