घरेलू बचत को लेकर RBI के डिप्टी गवर्नर का आया बड़ा बयान

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आरबीआई की मानें तो घरेलू बचत ने बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था की निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया है। आरबीआई के मुताबिक आने वाले दशकों में कर्ज का ये मुख्य स्त्रोत भी बन सकता है। घरेलू बचत मूल रूप से अर्थव्यवस्था की निवेश संबंधित जरुरतों को पूरा करेगा।

घरेलू बचत करना आमतौर पर हर भारतीय मिडिल क्लास महिला की आदत में शुमार होता है। घरेलू बचत के जरिए ही महिलाएं अधिक से अधिक राशि को जमा कर, मुसिबत के समय में इसका उपयोग कर सकती है। वहीं अब घरेलू बचत पर देश के सबसे बड़े बैंक यानी आरबीआई का भी बयान आया है।

आरबीआई की मानें तो घरेलू बचत ने बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था की निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया है। आरबीआई के मुताबिक आने वाले दशकों में कर्ज का ये मुख्य स्त्रोत भी बन सकता है। घरेलू बचत मूल रूप से अर्थव्यवस्था की निवेश संबंधित जरुरतों को पूरा करेगा। ऐसे में आने वाले दशकों में ये कर्ज का मुख्य स्त्रोत भी बनी रहेगी।

ये जानकारी आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने दी है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम ‘फाइनेंसिंग 3.0 शिखर सम्मेलन: विकसित भारत की तैयारी में बोलते हुए उन्होंने कहा है। उन्होंने कहा कि महामाहरी के समय के दौरान जमापूंजी खत्म हो गई थी। इस दौरान अलग अलग तरह की वित्तीय ऐसेट से आवास जैसे ऐसेट में बदले थे। इस कारण कई परिवारों की बचत 2020-21 के स्तर से लगभग आधी हो गई है। 

पात्रा ने कहा, ‘‘आने वाले समय में आय वृद्धि से उत्साहित होकर परिवार अपनी वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण करेंगे... यह प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। परिवारों की वित्तीय परिसंपत्तियां 2011-17 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10.6 प्रतिशत से बढ़कर 2017-23 (महामारी वर्ष को छोड़कर) के दौरान 11.5 प्रतिशत हो गई हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद के वर्षों में उनकी भौतिक बचत भी जीडीपी के 12 प्रतिशत से अधिक हो गई है और आगे भी बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि 2010-11 में ये आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद के 16 प्रतिशत तक पहुंच गया था। आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ऐसे में आने वाले दशकों में घरेलू क्षेत्र बाकी अर्थव्यवस्था के लिए शीर्ष शुद्ध ऋणदाता बना रहेगा।

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