प्रदूषण वाले ईंधन में कटौती से भारत में बच सकती है 2. 7 लाख लोगों की जान

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अध्ययन के मुताबिक औद्योगिक या वाहनों से उत्सर्जन मे कोई बदलाव किए बगैर ईंधन के इन स्रोतों से उत्सर्जन का उन्मूलन करने से बाहरी (आउटडोर) वायु प्रदूषण का स्तर देश के वायु गुणवत्ता मानक से कम हो जाएगा। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

लॉसएंजिलिस। लकड़ी, उपले, कोयले और केरोसिन जैसे प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन से होने वाले उत्सर्जन पर रोक लगा कर भारत सालाना करीब 2,70,000 लोगों की जान बचा सकता है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है, जिसमें आईआईटी दिल्ली के शोधार्थी भी शामिल हैं।

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अध्ययन के मुताबिक औद्योगिक या वाहनों से उत्सर्जन मे कोई बदलाव किए बगैर ईंधन के इन स्रोतों से उत्सर्जन का उन्मूलन करने से बाहरी (आउटडोर) वायु प्रदूषण का स्तर देश के वायु गुणवत्ता मानक से कम हो जाएगा। 

यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। 

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के सागनिक डे सहित शोधार्थियों के मुताबिक प्रदूषण फैलाने वाले घरेलू ईंधनों के उपयोग में कमी करने से देश में वायु प्रदूषण संबंधी मौतें करीब 13% घट जाएंगी, जिससे एक साल में करीब 2,70,000 लोगों की जान बच सकती है। 

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अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के प्राध्यापक क्रिक आर स्मिथ ने कहा कि घरेलू (रसोई में इस्तेमाल होने वाले) ईंधन भारत में आउटडोर वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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