रिजर्व बैंक ने बैंकों की पूंजी बफर नियमों पर अमल की अवधि एक साल बढाई
सीसीबी पूंजी बफर है जिसे बैंकों को सामान्य समय में जमा करना पड़ता है ताकि संकट की अवधि के दौरान नुकसान की भरपाई के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके।
मुंबई। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को बैंकों में पूंजी सुरक्षा बफर (सीसीबी) की आखिरी किस्त पर अमल करने की समयसीमा को एक साल के लिये बढ़ा दिया। आरबीआई के इस कदम से बैंकों के पास 37,000 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध होगी। इस कदम से बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में 3.50 लाख करोड़ रुपये तक वृद्धि होगी। आरबीआई ने अधिसूचना में कहा, "उसने सीसीबी की 0.625 प्रतिशत की आखिरी किस्त को लागू करने की समयसीमा को 31 मार्च 2019 से बढ़ाकर 31 मार्च 2020 करने का फैसला किया है।"
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इस प्रकार, पूंजी संरक्षण का न्यूनतम अनुपात 2.5 प्रतिशत अब 31 मार्च, 2020 से लागू होगा। वर्तमान में बैंकों का सीसीबी मुख्य पूंजी का 1.875 प्रतिशत है। सीसीबी पूंजी बफर है जिसे बैंकों को सामान्य समय में जमा करना पड़ता है ताकि संकट की अवधि के दौरान नुकसान की भरपाई के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके।
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The #RBI Reserve Bank of India is accountable to the #government and should make policies within the framework set by the government, according to a former central bank chief now heading a panel tasked with framing guidelines.#Advisorymandi
— Advisorymandi.com (@advisorymandi) January 10, 2019
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इसे 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों का सामना करने के लिये बैंकों की क्षमता में सुधार के लिए पेश किया गया था। सीसीबी की आखिरी किस्त पर अमल को टालने का फैसला आरबीआई की 19 नवंबर को हुई केंद्रीय बोर्ड की बैठक में लिया गया था। हालांकि, बोर्ड ने पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीआरएआर) को 9 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।
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