रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.35 प्रतिशत घटाया, GDP वृद्धि दर का अनुमान भी घटा

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[email protected] । Aug 7 2019 2:55PM

रिजर्व बैंक ने बुधवार को खुदरा मुद्रास्फीति के अगले 12 माह के दौरान उसके तय दायरे में रहने का अनुमान व्यक्त करते हुये कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 3.5 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीति की बैठक के बाद बुधवार को कहा कि 2019-20 की दूसरी छमाही के लिये संतुलित जोखिम के साथ मुद्रास्फीति 3.5- 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का लक्ष्य रखा है।

मुंबई। रिजर्व बैंक ने बुधवार को खुदरा मुद्रास्फीति के अगले 12 माह के दौरान उसके तय दायरे में रहने का अनुमान व्यक्त करते हुये कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 3.5 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीति की बैठक के बाद बुधवार को कहा कि 2019-20 की दूसरी छमाही के लिये संतुलित जोखिम के साथ मुद्रास्फीति 3.5- 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का लक्ष्य रखा है।

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वहीं दूसरी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के दूसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि मौजूदा मुद्रास्फीति 12 महीने से अधिक अवधि के लिये लक्ष्य के दायरे में रहने का अनुमान है।’’ वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने बुधवार को घोषित मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की कटौती की है। इससे पहले जून में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 3.4- 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। चालू वित्त वर्ष की तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बुधवार को जारी निष्कर्ष के मुख्य बिंदु इस प्रकार रहे: 

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आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के मुख्य बिंदु

-रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.35 प्रतिशत घटाकर 5.40 प्रतिशत किया।

-रिवर्स रेपो दर को संशोधित कर 5.15 प्रतिशत किया गया।

-सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.65 प्रतिशत पर आई।

-मौद्रिक नीति रुख को नरम बनाये रखा गया।

-जीडीपी वृद्धि दर का पूर्वानुमान जून बैठक के सात प्रतिशत से घटाकर 6.90 प्रतिशत किया गया।

-वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति 3.5 से 3.7 प्रतिशत के तय लक्ष्य के दायरे में रहने का अनुमान।

-मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने रेपो दर में 0.35 प्रतिशत कटौती का पक्ष लिया, दो सदस्यों ने 0.25 प्रतिशत कटौती की वकालत की।

-समग्र मांग को बढ़ावा, निजी निवेश बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता।

-मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के निष्कर्ष की अगली घोषणा चार अक्टूबर को।

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