बिक्री, विनिर्माण, वितरण के लिए 439 औषधियां प्रतिबंधित
रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने आज बताया कि अभी तक भारत सरकार ने देश में बिक्री, विनिर्माण, और वितरण के लिए 439 औषधियों को प्रतिबंधित या निलंबित किया है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने आज बताया कि अभी तक भारत सरकार ने देश में बिक्री, विनिर्माण, और वितरण के लिए 439 औषधियों को प्रतिबंधित या निलंबित किया है जिसमें से 344 निर्धारित खुराक का सम्मिश्रण (एफडीसी) है। लोकसभा में पीआर सुंदरम के पूरक प्रश्न के उत्तर में अनंत कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 10 मार्च 2016 को 344 औषधियों को प्रतिबंधित किये जाने के बाद कई औषधि कंपनियों ने देशभर की विभिन्न अदालतों में रिट याचिकाएं दायर की और इस पर अंतरिम रोक प्राप्त कर ली।
मंत्री ने कहा, ''अभी यह मामला अदालत के विचाराधीन है। हम इस रोक को अदालत के माध्यम से हटवाने को प्रयासरत हैं।’’ अनंत कुमार ने कहा कि देश में औषधियों का विनिर्माण, बिक्री और वितरण का लाइसेंस प्रदान करने और निरीक्षण प्रणाली के माध्यम से औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और उसके अधीन बने नियम 1945 के तहत नियमन किया जाता है। रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख एल मंडाबिया ने कहा कि अगर किसी दवा में कोई तकनीकी खामी है, कोई कमी है, किसी तरह की कोई शिकायत है तब इसकी विशेषज्ञों से जांच करायी जाती है। उन्होंने बताया कि जहां तक 344 औषधियों पर प्रतिबंध लगाने की बात है तब 2014 में संसद की स्थायी समिति ने इस पर विचार किया था। विशेषज्ञ समिति ने 6000 से अधिक औषधियों की जांच की थी और उसके बाद मार्च 2010 में 344 औषधियों पर प्रतिबंध लगाया गया। मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार गांव एवं गरीब लक्षित है और गरीबों को सस्ती दवाएं मिले इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
मंडाविया ने कहा कि गरीबों को सस्ती औषधि प्रदान करने की प्रतिबद्धता के तहत प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने की योजना बनाई है। इसके तहत अब तक 300 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। जेनेरिक दवाओें के बारे में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि हमने सुझाव दिया है कि डॉक्टर जेनेरिक दवाओं को प्रोत्साहित करें। इस बारे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से बात भी की है। हमने यह भी सुझाव दिया है कि ब्रांडेड दवाओं के साथ उसके जेनेरिक नाम भी स्पष्ट किये जाएं। इस बारे में हम एप्प भी विकसित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के अंतर्गत प्रतिबंधित दवाओं का विनिर्माण और ब्रिकी करना एक दंडनीय अपराध है। कुमार ने कहा कि जब भी एफडीए या डब्ल्यूएचओ किसी औषधि पर प्रतिबंध लगाता है, तब हम किसी अन्य विनियामक द्वारा प्रतिबंध लगाने का आंख मूंद कर अनुसरण नहीं करते हैं। हमारे अपने औषधि विनियामक है, विशेषज्ञ हैं और हम स्वयं इसकी जांच करके कदम उठाते हैं।
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