- |
- |
क्या भगोड़े नीरव मोदी की होगी स्वदेश वापसी? 25 फरवरी को सुनाया जाएगा फैसला
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 9, 2021 11:30
- Like

नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में फैसला 25 फरवरी को आएगा।लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में जिला न्यायाधीश सैमुएल गूजी ने शुक्रवार को दलीलों की सुनवाई के बाद इस तारीख की पुष्टि की। वांछित हीरा व्यापारी हिरासत में है और वह पांच फरवरी को वीडियो- लिंक के माध्यम से 28 दिन की नियमित रिमांड सुनवाई के लिए पेश होगा।
लंदन। भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा या नहीं, इस बारे में यहां की अदालत 25 फरवरी को अपना फैसला सुनाएगी। अदालत उस दिन तय करेगी कि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले से संबद्ध धोखाधड़ी और धनशोधन संबंधी आरोपों का सामना करने के मामलों में वांछित नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किया जाए, या नहीं। लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में जिला न्यायाधीश सैमुएल गूजी ने शुक्रवार को दलीलों की सुनवाई के बाद इस तारीख की पुष्टि की। वांछित हीरा व्यापारी हिरासत में है और वह पांच फरवरी को वीडियो- लिंक के माध्यम से 28 दिन की नियमित रिमांड सुनवाई के लिए पेश होगा।
इसे भी पढ़ें: भगोड़े नीरव मोदी की बहन, बहनोई PNB मनी लांड्रिंग मामले में बने सरकारी गवाह
इससे पहले अदालत को बताया गया कि भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी एक ‘‘पोंजी जैसी योजना’’ की देखरेख करने के लिए जिम्मेदार है, जिसकी वजह से भारत के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ धोखाधड़ी हुई। नीरव मोदी के भारत को प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटेन की अदालत में जारी अंतिम सुनवाई में यह कहा गया। मामले में ब्रिटेन की क्राउन अभियोजन सेवा (सीपीएस) भारतीय प्राधिकरण की ओर से बहस कर रही है। सीपीएस का जोर पहली नजर में धोखाधड़ी के मामले पर है। इसके साथ ही धनशोधन मामले पर भी जोर दिया जा रहा है। मामले में दो दिन की सुनवाई के दूसरे दिन यह कहा गया। नीरव मोदी, दक्षिण- पश्चिम लंदन स्थित वैंड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिये इस सुनवाई में शामिल हुआ।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव का किया समर्थन, कही यह बात
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 15:02
- Like

मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने फिक्की एफएलओ सदस्यों के साथ परिचर्चा में कहा, ‘‘यह एक अच्छा कदम होगा। इसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना है।’’
कोलकाता। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसपर निर्णय जीएसटी परिषद को करना है। सुब्रमण्यम ने हाल में फिक्की एफएलओ सदस्यों के साथ परिचर्चा में कहा, ‘‘यह एक अच्छा कदम होगा। इसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना है।’’
इसे भी पढ़ें: पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला वैट कम कर कीमतों में कटौती करे पंजाब सरकार: हरसिमरत कौर
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का आग्रह किया है। ईंधन कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से आम आदमी पर बोझ बढ़ा है। यह विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में एक प्रमुख मुद्दा है। सुब्रमण्यम ने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की महंगाई की वजह से है।
FPI ने फरवरी में भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 23,663 करोड़ रुपए का किया निवेश
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 14:38
- Like

कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख रुस्मिक ओझा ने कहा कि इस महीने एफपीआई के प्रवाह में मुख्य वजह आम बजट और कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजे रहे।
नयी दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) चालू कैलेंडर वर्ष में लगातार दूसरे महीने शुद्ध निवेशक बने हुए हैं। आम बजट को लेकर सकारात्मक धारणा तथा कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे अच्छे रहने के बीच एफपीआई ने फरवरी में भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 23,663 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार 1-26 फरवरी के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 25,787 करोड़ रुपये डाले, लेकिन उन्होंने ऋण या बांड बाजार से 2,124 करोड़ रुपये की निकासी भी की। इस तरह भारतीय बाजार में उनका शुद्ध निवेश 23,663 करोड़ रुपये रहा। पिछले महीने एफपीआई ने भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 14,649 करोड़ रुपये डाले थे।
इसे भी पढ़ें: इंदौर में स्थानीय व्यापारी संगठनों का बंद नाकाम, रोज की तरह खुले बाजार
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख (बुनियादी शोध) रुस्मिक ओझा ने कहा कि इस महीने एफपीआई के प्रवाह में मुख्य वजह आम बजट और कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजे रहे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10 साल के बांड पर प्राप्ति बढ़ने से एफपीआई का प्रवाह सुस्त पड़ा है। उन्होंने कहा कि पूंजी प्रवाह में अमेरिका के 10 साल के बांड पर प्राप्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। मुद्रास्फीति को लेकर बांड पर प्राप्ति बढ़ रही है। इससे पूंजी का प्रवाह सुस्त पड़ेगा।
लॉकडाउन में महाराष्ट्र के 96 फीसदी लोगों की आमदनी में आई गिरावट: सर्वेक्षण
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 11:51
- Like

‘अन्न अधिकार अभियान’ के लिए राज्य की समन्वयक मुक्ता श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है और लॉकडाउन हटने के पांच महीने बाद तक उनकी स्थिति ऐसी ही रही।’’
मुंबई। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र के करीब 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है। राज्य में ‘अन्न अधिकार अभियान’ के तहत किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। ‘अन्न अधिकार अभियान’ के लिए राज्य की समन्वयक मुक्ता श्रीवास्तव ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि आमदनी में कमी आने का मुख्य कारण नौकरियां जाना और कार्य की अनुपलब्धता थी।
इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र के लातूर में 27-28 फरवरी को जनता कर्फ्यू, जिलाधिकारी बोले- घरों से नहीं निकलें बाहर
उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में शामिल हर पांचवें व्यक्ति को भोजन खरीदने के लिए पैसा नहीं होने के कारण भूखे रहने पर मजबूर होना पड़ा। इस अभियान के तहत खाद्य एवं पोषण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने पिछले साल मई और सितंबर में मुंबई, ठाणे, रायगढ़, पुणे, नंदुरबार, सोलापुर, पालघर, नासिक, धुले और जलगांव में कुल 250 लोगों का सर्वेक्षण किया। केंद्र ने देश में कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसके कुछ महीने बाद प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दी गई थी।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है और लॉकडाउन हटने के पांच महीने बाद तक उनकी स्थिति ऐसी ही रही।’’ उन्होंने बताया कि जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया है, उनमें से 52 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाके के रहने वाले हैं और शेष लोग शहरी इलाकों के रहने वाले हैं। इनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन से पहले करीब 70 प्रतिशत लोगों की मासिक आय सात हजार रुपए थी और शेष लोगों की मासिक आय तीन हजार रुपए थी।
इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र में कोरोना का कहर, 39 छात्र एवं पांच कर्मचारी कोविड-19 संक्रमित पाये गये
उन्होंने कहा, ‘‘पहले से ही इतनी कम आय में भी गिरावट इस बात को रेखांकित करती है कि संक्रमण का इन लोगों पर कितना बुरा असर पड़ा है।’’ उन्होंने बताया कि जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से करीब 49 प्रतिशत लोगों को भोजन खरीदने के लिए अपने मित्रों एवं संबंधियों से धन उधार लेना पड़ा। इन लोगों की लॉकडाउन के बाद की आय के बारे में पूछे जाने पर श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अप्रैल और मई में 43 प्रतिशत लोगों की कोई आय नहीं थी। केवल 10 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं, जिनकी आय लॉकडाउन से पहले वाले स्तर पर पहुंची है।’’
उन्होंने कहा कि जिन लोगों की अप्रैल और मई में कोई आय नहीं थी, उनमें से 34 प्रतिशत लोगों की स्थिति सितंबर-अक्टूबर में भी ऐसी ही रही। श्रीवास्तव ने बताया कि सर्वेक्षण के अनुसार, भोजन खरीदने के लिए 12 प्रतिशत लोगों ने गहने और तीन प्रतिशत लोगों ने अपनी जमीन बेची।

