आम्रपाली समूह की फॉरेंसिक रिपोर्ट को वकीलों में वितरित करने पर SC नाराज

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[email protected] । Apr 10 2019 3:49PM

न्यायालय ने कहा कि आम्रपाली के मामले में उन परेशान घर खरीदारों को लाभ मिलना चाहिए जिन्होंने अपनी जीवनभर की पूंजी को इसमें लगा दिया और उन्हें घर नहीं मिला।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विवादों में घिरी रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह की फॉरेंसिक ऑडिट रपट को अदालत को सौंपने से पहले वकीलों में वितरित किए जाने पर मंगलवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की। शीर्ष अदालत ने कहा वह 30 अप्रैल से आम्रपाली की परियोजनाओं के आवास खरीदारों की याचिका पर सुनवाई करेगी। अदालत इस मामले में देखेगी कि क्या घर खरीदारों को संपत्ति का मालिकाना हक दिया जा सकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि वह यह भी देखेगी कि आम्रपाली समूह द्वारा घर खरीदारों के धन को जिन दूसरे उद्यमों में लगाया गया है,क्या वहां से उसे वापस लाकर रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने में उपयोग किया जा सकता है?

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न्यायालय ने कहा कि आम्रपाली के मामले में उन परेशान घर खरीदारों को लाभ मिलना चाहिए जिन्होंने अपनी जीवनभर की पूंजी को इसमें लगा दिया और उन्हें घर नहीं मिला। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू. यू. ललित की पीठ ने कहा कि फॉरेंसिक रपट को अदालत में सौंपने से पहले वकीलों को वितरित किये जाने के मामले को वह ‘गंभीरता’से लेगी।

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अदालत ने निर्देश दिया कि इसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए। पीठ ने नौं खंडों में सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट को भी रिकार्ड में लिया। यह रिपोर्ट अदालत द्वारा नियुक्त किये गये दो फारेंसिक आडिटर्स ने तैयार की है। उन्हें अपना काम 28 अप्रैल तक समाप्त करने को कहा गया है। फारेंसिंक आडिटर पवन अग्रवाल और रवि भाटिया ने न्यायालय से कहा कि आडिट के दौरान उन्हें पता चलता है कि आम्रपाली समूह ने घर खरीदारों का 3,000 करोड़ रुपये से अधिक धन दूसरे कामों में लगाया है। घर खरीदारों के धन को इधर उधर करने के लिये 100 से अधिक मुखौटा कंपनियां बनाई गई। पीठ ने कहा कि वह सार्वजनिक हित को नुकसान नहीं पहुंचने देगी और यह तय करना चाहेगी कि आम्रपाली समूह को इसके भुगतान के लिये किस प्रकार से जवाबदेह बनाया जाये। 

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