सेबी ने ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदान करने वालों के लिये नियम जारी किये

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सेबी ने शुक्रवार को एक अधिसूचना में कहा कि नये नियमों के तहत नियामक से शेयर ब्रोकर का पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना कोई भी व्यक्ति ‘ऑनलाइन बॉन्ड’ मंच प्रदाता के रूप में काम नहीं करेगा। ऐसे व्यक्ति को पंजीकरण की शर्तों के साथ समय-समय पर नियामक की तरफ से निर्धारित अन्य जरूरतों का पालन करना होगा।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियां बेच रहे ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदान करने वालों के लिये चीजें सुगम बनाने को लेकर नियामकीय व्यवस्था पेश की है। सेबी ने शुक्रवार को एक अधिसूचना में कहा कि नये नियमों के तहत नियामक से शेयर ब्रोकर का पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना कोई भी व्यक्ति ‘ऑनलाइन बॉन्ड’ मंच प्रदाता के रूप में काम नहीं करेगा। ऐसे व्यक्ति को पंजीकरण की शर्तों के साथ समय-समय पर नियामक की तरफ से निर्धारित अन्य जरूरतों का पालन करना होगा।

इस कदम से निवेशकों, विशेष रूप से गैर-संस्थागत निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ेगा क्योंकि मंच की सुविधा नियामक से पंजीकरण प्राप्त मध्यस्थ प्रदान करेगा। इस नियम के लागू होने की तारीख से पहले पंजीकरण प्रमाण पत्र के बिना ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति तीन महीने की अवधि के लिये अपना काम जारी रख सकता है। बॉन्ड्स इंडिया डॉट कॉम के संस्थापक अंकित गुप्ता ने सेबी के कदम को बॉन्ड क्षेत्र के लिये एक महत्वपूर्ण पहल करार दिया। यह खुदरा निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ाने और बॉन्ड बाजार में को गति देने में मददगार होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अभी बाजार नियंत्रित नहीं है। इससे क्षेत्र में प्रवेश को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है। इससे निवेशकों के बीच संबंधित व्यक्ति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होती है। सेबी के इस कदम के अन्य संबंधित नियमों से निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है...।’’ सेबी के अनुसार, ऑनलाइन बॉन्ड मंच मान्यता प्राप्त शेयर बाजार से अलग है। यह कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली हो सकती है, जिस पर सूचीबद्ध या सूचीबद्ध होने के लिए प्रस्तावित ऋण प्रतिभूतियों की पेशकश और लेनदेन किया जाता है।

इसके अलावा, ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता से आशय, वैसे व्यक्ति से है, जो इस तरह के मंच का संचालन करता है। इसके तहत, सेबी ने एनसीएस (गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों का निर्गम और सूचीबद्धता) नियमों में संशोधन किया है। नया नियम नौ नवंबर से प्रभावी हो गया है। इसके अलावा, सेबी ने अलग से प्रायोजकों के लिये रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) इकाइयों की न्यूनतम शेयरधारिता आवश्यकता को घटाकर 15 प्रतिशत करने के नियमों को अधिसूचित किया है। अबतक यह 25 प्रतिशत था। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक कंपनियों को रीट लाने के लिये प्रोत्साहित करना है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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