सेबी का पूंजी बाजार में करों को तर्कसंगत बनाने पर जोर
आम बजट से पहले भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सरकार से पूंजी बाजार में करों को तर्कसंगत बनाने की मांग की है। इनमें म्यूचुअल फंड तथा अन्य उत्पाद शामिल हैं।
आम बजट से पहले भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सरकार से पूंजी बाजार में करों को तर्कसंगत बनाने की मांग की है। इनमें म्यूचुअल फंड तथा अन्य उत्पाद शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय को सौंप बजट प्रस्ताव के तहत सेबी ने शेयरों के कारोबार पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) में कटौती की सिफारिश की है। फिलहाल सभी शेयर बाजार लेनदेन पर 0.017 से 0.125 प्रतिशत तक एसटीटी लगता है। इसके अलावा नियामक ने दीर्घावधि के ऋण कोष की इकाइयों को रखने की समयसीमा को भी 36 से घटाकर 12 महीने करने का सुझाव दिया है।
इसके अलावा नियामक चाहता है कि कर बचत वाली इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं में छूट की पात्रता की सीमा सीमा को मौजूदा के 1.5 लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये के निवेश तक की जाए। इन सुझावों का मकसद अधिक से अधिक निवेशकों को आकर्षित करना है। म्यूचुअल फंड उद्योग के संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने भी कहा है कि ऋण आधारित बचत योजनाओं पर आयकर कानून की धारा 80 सीसीसी के तहत कर लाभ दिया जाना चाहिए। इसके अलावा एम्फी ने राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना (आरजीईएसएस) के तहत कर लाभ सभी इक्विटी कोष निवेशकों को उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है। यह योजना 2012 में शेयरों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए की गयी थी।
इसमें 12 लाख रुपए सालाना से कम की आय वाले ऐसे निवशकों को कर रियायत दी जाती है जो पहली बार शेयर में निवेश करते हैं। संगठन में 3-5 वर्ष के लाक-इन (प्रतिबद्ध समय) के निवेश वाली म्युचुअल फंड योजनाओं पर धारा 4ईसी के तहत लाभ दिए जाने का भी सुझाव दिया है।
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