सेबी ने कहा- 'कस्टोडियन' करार वाले ग्राहकों के लिए नो ब्लॉक सिस्टम

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पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को कहा कि डीमैट खातों से जुड़ी ब्लॉक व्यवस्था की सुविधा उन ग्राहकों पर लागू नहीं होगी जिनका सौदों के निपटान के लिए कस्टोडियन (देखरेख करने वाले) के साथ समझौता है।

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को कहा कि डीमैट खातों से जुड़ी ब्लॉक व्यवस्था की सुविधा उन ग्राहकों पर लागू नहीं होगी जिनका सौदों के निपटान के लिए कस्टोडियन (देखरेख करने वाले) के साथ समझौता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने एक परिपत्र में कहा, ‘‘यह साफ किया जाता है कि सौदों के निपटान के लिए सेबी के पास पंजीकृत ‘कस्टोडियन’ के साथ समझौता रखने वाले ग्राहकों पर ब्लॉक व्यवस्था लागू नहीं होगी।’’ सेबी ने यह स्पष्टीकरण डिपॉजिटरी एवं कस्टोडियन की तरफ से की गई मांगों के संदर्भ में जारी किया है।

सेबी ने गत अगस्त में कहा था कि ब्लॉक व्यवस्था 14 नवंबर से सभी शुरुआती जमा लेनदेन के लिए अनिवार्य होगी। फिलहाल यह व्यवस्था निवेशकों के लिए वैकल्पिक रूप से लागू है। शुरुआती जमा लेनदेन का इस्तेमाल शेयर कारोबारियों द्वारा अपनी मार्जिन देनदारियों को कम करने के लिए किया जाता है। ब्लॉक व्यवस्था के तहत बेचने की मंशा रखने वाले खाताधारक के शेयरों को उसके डीमैट खाते में निपटान करने वाली इकाई के पास रोककर रखा जाता है। सेबी ने डिपॉजिटरी एवं निपटान संस्थाओं को नए नियमों के अनुरूप अनुपालन व्यवस्था लागू करने को कहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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