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लगातार पांचवें दिन शेयर बाजार में गिरावट, सेंसेक्स 1,145 अंक टूटा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 22, 2021 17:19
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सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में डॉ. रेड्डीज का शेयर सबसे अधिक करीब पांच प्रतिशत टूट गया। महिंद्रा एंड महिंद्रा, टेक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक और टीसीएस के शेयर भी नुकसान में रहे। वहीं दूसरी ओर ओएनजीसी, एचडीएफसी बैंक और कोटक बैंक के शेयर लाभ में रहे।
मुंबई। शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला सोमवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में भी जारी रहा। रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और एचडीएफसी जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट से सेंसेक्स 1,145 अंक टूट गया। वैश्विक बाजारों के नकारात्मक रुख ने भी बाजार धारणा को प्रभावित किया। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,145.44 अंक यानी 2.25 प्रतिशत के नुकसान से 49,744.32 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 306.05 अंक यानी 2.04 प्रतिशत टूटकर 14,700 अंक से नीचे 14,675.70 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में डॉ. रेड्डीज का शेयर सबसे अधिक करीब पांच प्रतिशत टूट गया। महिंद्रा एंड महिंद्रा, टेक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक और टीसीएस के शेयर भी नुकसान में रहे। वहीं दूसरी ओर ओएनजीसी, एचडीएफसी बैंक और कोटक बैंक के शेयर लाभ में रहे।
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आनंद राठी के इक्विटी शोध (बुनियादी) प्रमुख नरेंद्र सोलंकी ने कहा, ‘एशियाई बाजारों के मिलेजुले रुख के बीच भारतीय बाजार भी स्थिर रुख के साथ खुले। चीन के केन्द्रीय बैंक पीबीओसी द्वारा ब्याज दरों को यथावत रखने की वजह से चीन के बाजार नुकसान में रहे। वहीं जापान के बाजार में मामूली बढ़त थी।’’ उन्होंने कहा कि दोपहर के कारोबार में बाजार नीचे आए। कोविड-19 के मामले बढ़ने की चिंता तथा इसका आर्थिक प्रभाव पूर्व के अनुमान से कहीं अधिक रहने की आशंका से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। अन्य एशियाई बाजारों में चीन का शंघाई कम्पोजिट, हांगकांग का हैंगसेंग और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी नुकसान में थे। वहीं जापान के निक्की में लाभ रहा। शुरुआती कारोबार में यूरोपीय बाजार भी नुकसान में थे। इस बीच, वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट कच्चा तेल 0.66 प्रतिशत की बढ़त के साथ 62.55 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
कोरोना से प्रभावित महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 8 फीसदी की आएगी गिरावट: समीक्षा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 5, 2021 18:49
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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने राज्य विधानसभा में समीक्षा पेश की। वित्त राज्यमंत्री शंभूराज देसाई ने विधान परिषद में इसे रखा। समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में राज्य की अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है।
मुंबई। महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में आठ प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। राज्य विधानसभा में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा-2021 में यह अनुमान लगाया गया है। समीक्षा में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी का सबसे अधिक झटका उद्योग और सेवा क्षेत्रों पर पड़ा है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने राज्य विधानसभा में समीक्षा पेश की। वित्त राज्यमंत्री शंभूराज देसाई ने विधान परिषद में इसे रखा। समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में राज्य की अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष में राज्य की अर्थव्यवस्था 19,62,539 करोड़ रुपये रहने का अनुमान हैं इसके अलावा उद्योग क्षेत्र में 11.3 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र में नौ प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।
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समीक्षा में कहा गया है कि मानसून अच्छा रहने की वजह से चालू वित्त वर्ष में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की वृद्धि दर 11.7 प्रतिशत रहेगी। इसमें कहा गया है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर महामारी का प्रभाव सबसे कम पड़ा है। समीक्षा कहती है कि सरकार ने भी कृषि क्षेत्र को कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से छूट दी थी। कृषि सामान के परिवहन एवं वितरण के विभिन्न उपायों, उपज के परिवहन एवं बिक्री के उपायों, लाइसेंसों के ऑनलाइन नवीकरण, राज्य के विभिन्न विभागों के बीच संयोजन, आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से कृषि क्षेत्र को फायदा हुआ है। चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। समीक्षा में 2020-21 में विनिर्माण क्षेत्र में 11.8 प्रतिशत तथा निर्माण क्षेत्र में 14.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया है। इससे उद्योग क्षेत्र में 11.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
क्या पेट्रोल-डीजल के दामों में होगी कटौती ? निर्मला सीतारमण ने दिया यह जवाब
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 5, 2021 18:26
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इंडियन वुमेंस प्रेस कॉर्प में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘जहां तक उपभोक्ताओं की बात है, उनके लिए ईंधन कीमतों में कटौती की मांग का मामला बनता है।’’
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया है कि पेट्रोल और डीजल के ऊंचे दाम उपभोक्ताओं का बोझ बढ़ा रहे हैं। उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से राहत मिलनी चाहिए, लेकिन इसके लिये केन्द्र और राज्य दोनों के स्तर पर करों में कटौती करनी होगी। पेट्रोल की खुदरा कीमत में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्रीय और राज्य करों की है। डीजल के मामले में यह 56 प्रतिशत तक है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कुछ स्थानों पर पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है जबकि देश में अन्य स्थानों पर भी इनके दाम अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर चल रहे हैं।
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अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का लाभ लेने के लिए सीतारमण ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड वृद्धि की थी। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम दो दशक के निचले स्तर पर आ गए थे। हालांकि, सीतारमण ने उपभोक्ताओं को राहत के लिए केंद्रीय करों में कटौती की दिशा में पहल करने के बारे में कुछ नहीं कहा। इंडियन वुमेंस प्रेस कॉर्प (आईडब्ल्यूपीसी) में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में सीतारमण ने कहा, ‘‘जहां तक उपभोक्ताओं की बात है, उनके लिए ईंधन कीमतों में कटौती की मांग का मामला बनता है।’’
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं पर बोझ की बात समझ आती है, लेकिन इनका मूल्य निर्धारण अपने आप में एक जटिल मुद्दा है। सीतारमण ने कहा, ‘‘इसी वजह से मैंने ‘धर्मसंकट’ शब्द का इस्तेमाल किया था। यह ऐसा सवाल है जिसपर मैं चाहूंगी कि राज्य और केंद्र बात करें। केंद्र पेट्रोलियम उत्पादों पर अकेले कर नहीं लगाता है। राज्य भी कर लेते हैं।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों को पेट्रोल और डीजल पर कर से राजस्व मिलता है। सीतारमण ने कहा कि केंद्र के कर संग्रहण में से भी 41 प्रतिशत राज्यों को जाता है।
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वित्त मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे में कई परतें है। ऐसे में यह उचित होगा कि केंद्र और राज्य इस पर आपस में बात करें। पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाने के मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि इस बारे में कोई भी फैसला जीएसटी परिषद को लेना है। फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर निश्चित दर से उत्पाद शुल्क लगाती है। वहीं विभिन्न राज्यों द्वारा इसपर अलग दर से मूल्यवर्धित कर लगाया जाता है। इसे जीएसटी के तहत लाने से दोनों समाहित हो जाएंगे। इससे वाहन ईंधन के दामों में समानता आएगी। ऐसे में ऊंचे मूल्यवर्धित कर वाले राज्यों में दाम अधिक होने की समस्या का समाधान हो सकेगा। यह पूछे जाने पर कि केन्द्र क्या जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस तरह का प्रस्ताव लायेगा। जवाब में उनहोंने कहा कि परिषद की बेठक का समय नजदीक आने पर इस बारे में विचार होगा।
जेट एयरवेज के खरीदार को समय-सारिणी में जगह के लिए करना होगा आवेदन
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 5, 2021 15:46
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डीजीसीए ने कहा, जेट एयरवेज के खरीदार को समय-सारिणी में जगह के लिए आवेदन करना होगा।न्यायाधिकरण ने 25 फरवरी को इस बारे में अपनी बात रखने को कहा था। एनसीएसटी इस समय एयरलाइन के लिए कालरॉक-जलान गठबंधन द्वारा प्रस्तुत ऋण समाधान योजना पर विचार कर रहा है।
मुंबई। नागर विमानन मंत्रालय और नागर विमानन माहनिदेशालय (डीजीसीए) ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष कहा है कि जेट एयरवेज के लिए बोली जीतने वाली कंपनी को उड़ान समय-सारिणी में स्थान अपने आप नहीं मिलेगा बल्कि उसे इसके लिए आवेदन करने होंगे। कर्ज के बोझ तले बैठ चुकी जेट एयरवेज को दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता के तहत नीलाम करने की प्रक्रिया चल रही है मामला एनसीएलएटी के समक्ष है। नागर विमान मंत्रालय और डीजीसीए ने एनसीएलटी के समक्ष यह बात रखी है।
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न्यायाधिकरण ने 25 फरवरी को इस बारे में अपनी बात रखने को कहा था। एनसीएसटी इस समय एयरलाइन के लिए कालरॉक-जलान गठबंधन द्वारा प्रस्तुत ऋण समाधान योजना पर विचार कर रहा है। जेट के कर्जदाताओं की समिति इसकी योजना को सहमति दे चुकी है। नरेश गोयल द्वारा प्रवर्तित यह एयरलाइन धन की तंगी के चलते अपैल 2019 से बंद पड़ी है।

