Blind बच्चों के जीवन में रंग लाएंगे शालीमार पेंट्स का यह अभियान

shalimar-paints-will-bring-color-to-the-lives-of-blind-children
[email protected] । Feb 14 2020 6:43PM

प्रतिष्ठित पेंट निर्माता शालीमार पेंट्स ने एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट के तौर पर दृष्टिबाधित बच्चों के जीवन में रंग लाने के लिए सक्रिय पहल की है।इस डिजिटल अभियान के माध्यम से शालीमार पेंट्स बच्चों में होने वाले अंधेपन के मुद्दे पर प्रकाश डालता है और रंग के बीच गैप को खत्म करने में मदद करता है।

 नई दिल्ली। प्रतिष्ठित पेंट निर्माता शालीमार पेंट्स ने एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट के तौर पर दृष्टिबाधित बच्चों के जीवन में रंग लाने के लिए सक्रिय पहल की है। कलरअलाइफ का कंसेप्ट पेश करने के लिए ब्रांड ने आंखों के अस्पतालों के रिकवरी रूम को जीवंत रंगों से रंग दिया है, जिससे उन्हें ऐसा आभास होगा कि अब तक वे केवल अपनी कल्पनाओं में ही जी रहे थे।

इसे भी पढ़ें: वैलेंटाइन के दिन रतन टाटा ने किया अपनी गर्लफ्रेंड को याद, खोले अनसुने राज़

इस डिजिटल अभियान के माध्यम से शालीमार पेंट्स बच्चों में होने वाले अंधेपन के मुद्दे पर प्रकाश डालता है और प्रभावित बच्चों के लिए अंधेरे और रंग के बीच गैप को खत्म करने में मदद करता है। लगभग पांच मिनट का यह वीडियो दृष्टिबाधित एवं नेत्रहीन बच्चों के स्कूल छात्रावास के सुबह की दिनचर्या को फॉलो करता है और फिर उनके स्कूली जीवन को दर्शाता है। शुरुआत ही वॉइस ओवर से होती है जिसमें वह बच्चे बताते हैं कि रंगों की परिभाषा उनके लिए किस तरह एक अलग अर्थ रखती है। इसके बाद कैमरा शालीमार पेंट के डिब्बे में डूबे ब्रशन की ओर जाता है और एक दीवार पर पुताई हो रही है। यह वास्तव में एक आंखों के अस्पताल का रिकवरी रूम है। दीवारों को जीवंत रंगों से चित्रित कर ब्रांड यह चाहता है कि जब दृष्टिबाधित एवं नेत्रहीन बच्चों की आंखों की सर्जरी हो तो वह आँखें खोलते ही सबसे पहले इन रंगों को देखें। 

इसे भी पढ़ें: मारुति सुजुकी ने लॉन्‍च की BS-VI इंजन के साथ WagonR CNG, जानिए कीमत

इस कैम्पेन के पीछे के विचार साझा करते हुए शालीमार पेंट्स में वाइस-प्रेसिडेंट-स्ट्रेटेजी, ग्रोथ एंड मार्केटिंग, मीनल श्रीवास्तव, ने कहा, "हमारे देश में हजारों ऐसे बच्चे हैं जिन्हें दिखाई नहीं देता और जब तक उनका इलाज नहीं होता उनके लिए रंग कोई मायने नहीं रखते। जब हम विभिन्न पृष्ठभूमि वाले कई प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ काम कर रहे थे, तब हमारे सामने कुछ ऐसे कलाकार भी आए जो दृष्टिबाधित या नेत्रहीन हैं। उनसे ही हमें यह आइडिया मिला। उस समय मैं श्रॉफ आई क्लिनिक के साथ काम कर रही थी। उस अवधि में मैंने महसूस किया कि यह दृष्टिबाधित या नेत्रहीन बच्चों को भगवान से विशेष प्रतिभा के तौर पर उपहार मिला है। यदि उन्हें कुछ जरूरत है तो वह सिर्फ आंखों में नजर की। दुर्भाग्य से पैसे की कमी नहीं है लेकिन कॉर्निया कम है। इस कैम्पेन के जरिये हम युवा छात्र समुदाय तक पहुंचना चाहते हैं जो अन्य लोगों की मानसिकता में बदलाव लाकर नेत्रदान की प्रतिज्ञा लेने को प्रेरित कर सकते हैं।”

इसे भी पढ़ें: दूरसंचार कंपनियों के एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

शामीलार पेंट्स के बारे में  

1902 में स्थापित शालीमार पेंट्स का इतिहास भारत में पेंट उद्योग का इतिहास है। यह कंपनी डेकोरेटिव पेंट्स और इंडस्ट्रियल कोटिंग्स बनाने और उसकी मार्केटिंग का काम करती है। डेकोरेटिव बिजनेस में इंटीरियर और एक्सटीरियर दोनों पेंट शामिल होते हैं। यहां शालीमार के कई फ्लैगशिप ब्रांड्स हैं। हावड़ा ब्रिज, राष्ट्रपति भवन, साल्ट लेक स्टेडियम, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान समेत भारत की कई प्रतिष्ठित इमारतों और संरचनाओं को शालीमार पेंट्स से ही पेंट किया गया है। कंपनी के पास इस समय 30 से अधिक शाखाओं और डिपो के साथ तीन मैन्यूफेक्चरिंग प्लांट्स और एक मजबूत फुटप्रिंट है। देश भर में फैले आरडीसी और डिपो का विस्तृत और विशाल नेटवर्क यह सुनिश्चित करता है कि प्रोडक्ट हर दरवाजे पर उपलब्ध हों। भारत के अलावा, शालीमार पेंट्स नेपाल, भूटान, दुबई और सीशेल्स में भी उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करता है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़