गार्ड से लेकर डिलिवरी बॉय तक.... सब घर चले गए

migrant labour
निधि अविनाश । May 26 2020 6:59PM

कोरोना लॉकडाउन की वजह से सेकड़ों प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर निकल गए है। इनके जाने से बड़े मार्केटो का काम ठप पड़ गया है। बता दें कि न सिर्फ बड़े बाजारों बल्कि दूसरे बड़े बाजारों में भी मजदूरों की संख्या में कमी देखी गई है।

नई दिल्ली। उघोग सेक्टर को दोबारा पटरी पर उतारने के लिए सरकार ने कई दुकानों को खोलने की इजाजत तो दे दी है लेकिन अब दुकानदारों को नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि इस कोरोना लॉकडाउन की वजह से कई मजदूर अपने गांव चले गए है। इसकी वजह से अब दुकरानदारों को काफी मुशिकलें हो रही है। साउथ दिल्ली की बड़ी मार्केट के दुकानदारों के मुताबिक मजदूरों के अचानक कमी होने से काफी दिक्कत हो सकती है। इससे उनके व्यापार पर काफी ज्यादा असरा पड़ सकता है। दुकानदारों का कहना है कि बिना मजदूरों के मार्केट में आधा काम बीच में ही रूक सकता है क्योंकि ये मार्केट के सबसे अहम हिस्से है। इनके बिना बाजार का आधा काम ठप पड़ सकता है। वहीं  लाजपत नगर, नेहरू प्लेस कंप्यूटर मार्केट और सरोजिनी नगर जैसे बड़े मार्केट में भी ऐसी सम्स्या देखने को मिल रही है। 

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कोरोना लॉकडाउन की वजह से सेकड़ों प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर निकल गए है। इनके जाने से बड़े मार्केटो का काम ठप पड़ गया है। बता दें कि  न सिर्फ बड़े बाजारों बल्कि दूसरे बड़े बाजारों में भी मजदूरों की संख्या में कमी देखी गई है। ये वहीं मजदूर है जो बाजारों में ढुलाई, डिलिवरी और दुकानों में ग्राहकों को सामान देने जैसे कामों को सभांलते है। ट्रेडर्स असोसिएशन लाजपत नगर के महासचिव अश्विनी मारवाह के मुताबिक मई-जून के महीनों में कई मजदूर अपने गांव खेतों की  बुआई-कटाई के लिए चले जाते हैं और फिर 2-3 महीनें में शहर वापस आ जाते है। दिवाली से लेकर होली तक ये मजदूर सभी दूकानों में कर्मचारी मौजूद रहते है। लेकिन कोरोना महमारी के कारण अब या तो आधे कर्मचारी अपने गांव लौट गए है या तो वापस लौटेंगे ही नहीं। 

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नेहरू प्लेस स्थित कंप्यूटर मार्केट ट्रेडर्स असोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के चले जाने से बाजार का आधा काम रूक सकता है और इससे मार्केट की  गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित होंगी। मार्केट में हजारों दुकानों में मैनेजर, कैशियर और टेक्निकल स्टाफ के साथ-साथ गार्ड, चपरासी और डिलिवरी बॉय भी होते है। इनकी संख्या बाजार में 60 से 70 हजार होती है जिसमें से 50 हजार कर्मचारी अपने गांव लौट गए है। और अभी भी लोग भारी मात्रा में अपने घरों की निकल रहे है। सरोजिनी नगर सेंट्रल मार्केट के अध्यक्ष कुलदीप सिंह साहनी ने इन मजदूरों को दुकान की रीढ़ की हड्डी बताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ये मजदूर दुकानों में अहम भूमिका निभाते है। 

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