राज्य सरकारें अपनी राजकोषीय क्षमता से बाहर जाकर ‘मुफ्त सौगात’ न बांटें: राजीव कुमार

Dr. Rajiv Kumar
ANI

कुमार ने कहा कि कराधान और वितरण के जरिये सरकार से भुगतान का अंतरण एक लोकतंत्र में हमेशा जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि कोई भी अंतरण भुगतान जिसके प्रतिफल की सामाजिक दर निजी दर के प्रतिफल से अधिक है यानी जिसमें सकारात्मक प्रभाव हैं, उन्हें करना वाजिब है।

नयी दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार का मानना है कि राज्य सरकारों को अपनी राजकोषीय क्षमताओं से इतर ‘मुफ्त सौगात’ नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षमता से बाहर जाकर उपहार या टिकाऊ उपभोक्ता सामान मुफ्त में देना कतई सही नहीं है। कुमार ने कहा कि पात्रता के आधार पर अंतरण भुगतान और सरकार की राजकोषीय क्षमता से इतर दी जाने वाली मुफ्त सौगातों में अंतर है। उन्होंने कहा कि मुफ्त उपहार या टिकाऊ उपभोक्ता सामान को सौगात में देने की प्रकृति ऐसी है, जिसकी जरूरत नहीं है। किसी भी मामले में ऐसा काम उन सरकारों को नहीं करना चाहिए जो राजकोषीय गतिरोधों से जूझ रही हों। कुमार ने कहा कि कराधान और वितरण के जरिये सरकार से भुगतान का अंतरण एक लोकतंत्र में हमेशा जरूरी होता है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी अंतरण भुगतान जिसके प्रतिफल की सामाजिक दर निजी दर के प्रतिफल से अधिक है यानी जिसमें सकारात्मक प्रभाव हैं, उन्हें करना वाजिब है।’’ 

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कुछ राजनेताओं द्वारा भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति की तुलना श्रीलंका से किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘‘ऐसी कोई भी तुलना कई स्तरों पर अनुचित और शरारती है।’’ श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और भारत उसे आर्थिक सहायता दे रहा है। उन्होंने कहा कि नॉर्डिक देशों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में कर का अनुपात लगभग 50 प्रतिशत है क्योंकि वे आम लोगों को सार्वजनिक सेवाएं एवं सामान मुहैया कराने में बहुत सारा पैसा खर्च करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह ऐसी बात नहीं है जिसपर हमें चर्चा या बहस करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी, खासकर निचले तबके के लोगों के लिए सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाना काफी अहम है।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में सरकारों की तरफ से लोगों को मुफ्त उपहार देने की प्रवृत्ति को ‘रेवड़ी बांटना’ बताते हुए इसकी आलोचना की है। उन्होंने इसे करदाताओं के पैसे की बर्बादी के साथ ही एक आर्थिक आपदा भी बताया है जो भारत के आत्मनिर्भर बनने के सफर पर असर डाल सकता है। जब उनसे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नीति आयोग के बारे में आए हालिया बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राव अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं। 

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राव ने नीति आयोग को एक अनुपयोगी संस्था बताते हुए इसके संचालन परिषद की बैठक का पिछले हफ्ते बहिष्कार किया था। इस पर कुमार ने कहा, ‘‘सच तो यह है कि संचालन परिषद की बैठक में लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। यह दिखाता है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री की राय से अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री इत्तेफाक नहीं रखते हैं।’’ भारत की मौजूदा वृहद-आर्थिक स्थिति पर उन्होंने कहा कि किसी भी समय पूरे देश में मंदी आने का कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से मंदी तब होती है जब कोई देश लगातार दो तिमाहियों में नकारात्मक वृद्धि का गवाह बनता है। कुमार ने कहा, ‘‘भारत के मामले में मैं ऐसा होते हुए नहीं देख रहा हूं। लिहाजा मेरे मन में यह पूरी तरह साफ है कि भारत किसी भी मंदी के दबाव का सामना नहीं करेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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