स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारतीय इंजीनियरिंग कौशल का सम्मान: एलएंडटी
कंपनी ने कहा कि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण करेंगे। एलएंडटी ने कहा कि इस मूर्ति का निर्माण 2,989 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
नयी दिल्ली। बुनियादी ढांचे से जुड़ी दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने दावा किया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में बन रही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और महज 33 माह के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है। यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है। यह चीन में स्थित स्प्रिंग टेंपल की बुद्ध की प्रतिमा (153 मीटर) से भी ऊंची है और न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊंची है।
कंपनी ने कहा कि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण करेंगे। एलएंडटी ने कहा कि इस मूर्ति का निर्माण 2,989 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। उसने कहा कि कांसे की परत चढ़ाने के एक आशिंक कार्य को छोड़ कर इसके निर्माण का सारा काम देश में किया गया है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कंपनी ने कहा कि रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया। एलएंडटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक एस एन सु्ब्रमण्यन ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘स्टैच्यू आफ लिबर्टी जहां राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक है वहीं यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल तथा परियोजना प्रबंधन क्षमताओं का सम्मान भी है।
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