निवेश लायक एक लाख करोड़ रुपये की अवसंरचनात्मक परियोजनाओं की पहचान के लिये कार्यबल

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[email protected] । Sep 7 2019 3:45PM

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस कार्यबल की अगुवाई आर्थिक मामलों के सचिव करेंगे। कार्यबल 100 लाख करोड़ रुपये के ‘नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन’ का खाका खींचेगा।

नयी दिल्ली। सरकार ने शनिवार को कहा कि देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 2024-25 तक 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश बड़ी योग्य ढांचागत परियोजनाओं की पहचान करने के लिये एक उच्च स्तरीय कार्यबल गठित किया गया है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस कार्यबल की अगुवाई आर्थिक मामलों के सचिव करेंगे। कार्यबल 100 लाख करोड़ रुपये के ‘नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन’ का खाका खींचेगा। इसमें नयी परियोजनाओं के साथ ही पुरानी परियोजनाओं का विस्तार भी शामिल होगा।

प्रत्येक परियोजना की लागत कम से कम 100 करोड़ रुपये से अधिक होगी। कार्यबल में विभिन्न मंत्रालयों के सचिव, अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल होंगे। कार्यबल उन परियोजनाओं की पहचान करेगा जो तकनीकी रूप से व्यावहारिक और आर्थिक रूप से वहनीय हो तथा जिन्हें 2019-20 में शुरू किया जा सके।

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इसके अलावा कार्यबल को उन परियोजनाओं की सूची बनाने के लिये भी कहा गया है जिन्हें 2021 से 2025 के बीच के पांच वित्तवर्षों में शुरू किया जा सके। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गठित यह कार्यबल 2019-20 में निवेश के लिए ली जा सकने वाली परियोजनाओं पर 31 अक्टूबर 2019 तक तथा अगले पांच वित्त वर्षों के लिये दिसंबर के अंत तक रिपोर्ट सौंपेगा। मंत्रालय ने कहा कि देश को 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये 2019-20 से 2024-25 तक करीब 1,400 अरब डॉलर यानी 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है। पिछले एक दशक में यानी 2008 से 2017 के दौरान भारत ने बुनियादी संरचना पर करीब 1,100 अरब डॉलर खर्च किया है।

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मंत्रालय ने कहा कि बुनियादी संरचनाओं में सालाना निवेश बढ़ाना एक चुनौती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की देश की आर्थिक वृद्धि की यात्रा में बुनियादी संरचना की कमी का रोड़ा नहीं आये। मंचालय ने कहा है कि कार्यबल इस दौरान हर वित्त वर्ष के लिए प्रारंभ करने योग्य परियोजनाओं की पहचान करेगी। कार्यबल इन पर वार्षिक निवेश/पूंजीगत लागत का आकलन करेगा तथा संबंधित मंत्रालयों को वित्त पोषण के तौर तरीकों और कार्य की निगरानी करने के बारे में सुझाव देगा ताकि लागत व समय न बढ़े।

जिन परियोजनाओं में निजी निवेश की आवश्यकता होगी उनका समुचित प्रचार किया जाएगा। उनके लिए इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (आईआईजी) और राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) के जरिए निवेश जुटाने की व्यवस्था की जा सकती है। 

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