पशुपालकों में देसी गायों का आकर्षण बढ़ रहा है: राधामोहन सिंह

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[email protected] । Oct 8 2018 3:04PM

ट्रस्ट के सचिव सुनील कुमार शर्मा एवं प्रबंधक दिलीप कुमार यादव ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने गौशाला में इसी वर्ष स्थापित किए गए गिर, थरपारकर, हरियाणा, सिंधी आदि देशी नस्लों के विशाल समूहों को देखा।

मथुरा। केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि जिस प्रकार से देश में पशुपालक एवं किसान अब विदेशी नस्ल की गायों के स्थान पर देशी गाय के पालन पर जोर दे रहे हैं उससे उम्मीद है कि निकट भविष्य में हर पशुपालक के यहां देशी गायें हुआ करेंगी। कृषि मंत्री सिंह रविवार को मथुरा-वृन्दावन के मध्य धौरेरा गांव में महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा 1935 में एक हजार एकड़ से भी अधिक भूमि पर स्थापित हासानन्द गोचर भूमि ट्रस्ट की गौशाला का भ्रमण करने आए थे।

ट्रस्ट के सचिव सुनील कुमार शर्मा एवं प्रबंधक दिलीप कुमार यादव ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने गौशाला में इसी वर्ष स्थापित किए गए गिर, थरपारकर, हरियाणा, सिंधी आदि देशी नस्लों के विशाल समूहों को देखा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि दूसरी गौशालाएं एवं पशुपालक भी इसी प्रकार देशी नस्लों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करें तो हर तरफ देशी गाएं दिखाई पड़ेंगी और गांव-शहर की सड़कों पर कचरा खाती हुई गायों का दृष्य नहीं दिखाई देंगा।

गौशाला के पदाधिकारियों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देशी गायें भारतीय अर्थ व्यवस्था को स्थायित्व देने में बहुत बड़ा योगदान कर सकती हैं। सिंह ने बाद में फरह के नगला चंद्रभान (दीनदयाल धाम) में जनसंघ के संस्थापकों में से एक पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिवस समारोह में एक जनसभा को संबोधित करते हुए जैविक खेती को अपनाने पर भी बल दिया किया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के माध्यम से देश के किसान न केवल अपनी आय आसानी से दोगुनी कर सकते हैं, बल्कि रासायनिक खादों के उपयोग से होने वाली तमाम समस्याओं से भी दूर रह सकते हैं। ऐसा करने पर उनकी भूमि पहले से ज्यादा उर्वर बन सकती है।

इस मौके पर उन्होंने किसानों एवं खेती के सुधार के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा चलाई जा रहीं विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों की जानकारी भी दी। कार्यक्रम में दीनदयाल धाम स्मारक समिति के उपाध्यक्ष डॉक्टर रोशन लाल, निदेशक राजेंद्र सिंह, उप्र पं. दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विवि एवं गौ अनुसंधान संस्थान के कुलपति प्रो. केएमएल पाठक, जीएलए विवि के कुलपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर मनमोहन सिंह चौहान आदि भी उपस्थित थे।

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