अदालत ने ई-सिगरेट के उत्पादन और बिक्री पर पाबंदी वाले परिपत्र पर रोक लगायी

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[email protected] । Mar 27 2019 12:49PM

इस अदालत का मानना है कि प्रथम दृष्टया ये उत्पाद ड्रग और कॉस्मेटिक कानून, 1940 के अंतर्गत ‘ड्रग’ की परिभाषा के तहत नहीं आते।’’न्यायाधीश ने कहा कि अगर ये उत्पाद औषधि (ड्रग) नहीं हैं तो प्रतिवादी नंबर एक (केंद्र) को परिपत्र जारी करने का अधिकार नहीं है।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ई-सिगरेट और निकोटिन फ्लेवर वाले ई-हुक्का जैसे इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन सिस्टम (इंड्स) के उत्पादन और बिक्री पर पाबंदी लगाने वाले केंद्र के परिपत्र पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि ये उत्पाद ‘औषधि’ नहीं है इसलिए इस तरह के निर्देश जारी करना अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने कहा कि प्रारंभिक नजर में ये उत्पाद ड्रग और कॉस्मेटिक कानून के तहत ड्रग (औषधि) की परिभाषा के दायरे में नहीं आते।

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अदालत ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि प्रथम दृष्टया ये उत्पाद ड्रग और कॉस्मेटिक कानून, 1940 के अंतर्गत ‘ड्रग’ की परिभाषा के तहत नहीं आते।’’न्यायाधीश ने कहा कि अगर ये उत्पाद औषधि (ड्रग) नहीं हैं तो प्रतिवादी नंबर एक (केंद्र) को परिपत्र जारी करने का अधिकार नहीं है।

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इस कारण से पत्र और परिपत्र पर सुनवाई की अगली तारीख (17 मई) तक रोक लगायी जाती है। अदालत ने स्वास्थ्य मंत्रालय के 27 नवंबर 2018 के परिपत्र पर रोक लगा दी।

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