भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल पड़ी धीमी लेकिन, फिर भी चीन से आगे

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[email protected] । Dec 1 2018 12:18PM

इस वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में दो साल की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद देश की आर्थिक वृद्धि दर सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही में धीमी पड़कर 7.1 प्रतिशत रह गई।

नयी दिल्ली। इस वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में दो साल की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद देश की आर्थिक वृद्धि दर सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही में धीमी पड़कर 7.1 प्रतिशत रह गई। पहली तिमाही के मुकाबले खपत मांग में कमी और कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन में नरमी के रूझान से वृद्धि दर में कमी रही। हालांकि, दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के 6.3 प्रतिशत के मुकाबले ऊंची रही लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 8.2 प्रतिशत के मुकाबले इसमें गिरावट आई है। पहली तिमाही के मुकाबले जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट के बावजूद यह चीन की वृद्धि दर से आगे बनी हुई है। इससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

जुलाई-सितंबर तिमाही के जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़े को लेकर थोड़ी ‘निराश है लेकिन वित्त वर्ष की पहली छमाही के आंकड़े से उसे राहत मिली है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने ट्वीट में कहा, "वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत निराशाजनक प्रतीत होती है। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत और कृषि वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत रही जो करीब करीब स्थिर रही।

निर्माण क्षेत्र की वृद्धि 6.8 प्रतिशत और खनन क्षेत्र में 2.4 प्रतिशत की गिरावट मानसून के महीनों में आई कमी को दर्शाता है। उन्होंने कहा है कि अप्रैल-सितंबर छमाही में औसत वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही जो काफी बेहतर है। गर्ग ने कहा, "इन सबके बाद भी दुनिया में यह सबसे ऊंची वृद्धि दर है।" वित्त मंत्रालय ने कहा कि दूसरी तिमाही में समग्र जीडीपी वृद्धि दर ठीक ठाक रही है।

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मंत्रालय ने कहा, "दूसरी तिमाही की वृद्धि दर की गणना पहली तिमाही के मुकाबले ऊंचे आधार पर हुई है... मौजूदा वैश्विक परिवेश में भारतीय अर्थव्यवस्था उच्च आर्थिक वृद्धि दर बनाये रखने के मार्ग पर बढ़ रही है।"चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.5 प्रतिशत रही। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के आधार पर जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि 6.9 प्रतिशत रही, जो कि पहली तिमाही के 8 प्रतिशत की तुलना में कम है।

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जीवीए से उत्पादकों या आपूर्ति के पक्ष से आर्थिक गतिविधियों की तस्वीर सामने आती है जबकि जीडीपी उपभोक्ताओं या मांग के आधार पर आर्थिक गतिविधियों की स्थिति की जानकारी देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहाकार परिषद के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने कहा कि जीडीपी अनुमान वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू आर्थिक परिवेश को स्थिर बनाये रखने के सरकार के सफल प्रयासों को दर्शाते हैं। जीडीपी अनुपात के रूप में सालाना आधार पर सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।

दूसरी तिमही में निर्यात में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। इस दौरान सरकारी खपत में 12.7 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुयी है। कृषि क्षेत्र की जीवीए वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में धीमी होकर 3.8 प्रतिशत रही जो कि पिछली तिमाही में 5.3 प्रतिशत थी। आंकड़ों पर इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच समूह) के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रह सकती है। 

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