आम्रपाली समूह को सुप्रीम कोर्ट ने चेताया, कहा- अब ये सब नहीं चलेगा

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[email protected] । Nov 20 2018 8:01PM

शीर्ष न्यायालय ने आम्रपाली समूह और इसके निदेशकों तथा प्रवर्तकों को अदालत द्वारा पिछले साल मई से जारी सभी निर्देशों के पालन का अंतिम अवसर दिया।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने संकट का सामना कर रही रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह को लगातार अदालती आदेश की अवहेलना और ‘‘आंखों में धूल झोंकने’’ पर चेताते हुए कहा कि ‘अब ये सब नहीं चलेगा।’’ शीर्ष अदालत ने रियल्टी कंपनी को तीन दिसंबर तक निदेशकों, उनके परिवार के सदस्यों, परिजन, मुख्य वित्तीय अधिकारी और सांविधिक ऑडिटरों के नाम पर देश-विदेश में सभी संपत्तियों का ब्यौरा उजागर करने को कहा।

शीर्ष न्यायालय ने आम्रपाली समूह और इसके निदेशकों तथा प्रवर्तकों को अदालत द्वारा पिछले साल मई से जारी सभी निर्देशों के पालन का अंतिम अवसर दिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि आम्रपाली समूह को हर ब्यौरे और गतिविधि का खुलासा करना होगा। घर खरीदने वाले किन-किन खरीदारों के धन को एक जगह से दूसरी जगह भेजा गया, इस बारे में भी बताना है। 

पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर दें कि आम्रपाली समूह को 2008 से आवासीय, वाणिज्यिक, निजी, आधिकारिक निर्माण और वित्तीय लेन-देन, जहां धन का स्थानांतरण हुआ, का खुलासा करना होगा। अगर, आम्रपाली समूह और उसके निदेशकों ने सभी खुलासे नहीं किये तो ‘‘ये सब अब नहीं चलेगा।’’ पीठ ने कहा कि 2008 से सभी निदेशकों की संपत्ति के विवरण, परिवार के सदस्यों, परिजन, मुख्य वित्तीय अधिकारी और सांविधिक ऑडिटरों के नाम पर सृजित संपत्ति का खुलासा करना होगा।

न्यायालय ने कहा कि कंपनी घर के खरीदारों की रकम को दूसरी जगह लगाने के लिए जिम्मेदार है। अदालत ने समूह को सभी जमीनों का विवरण भी जमा करने को कहा, जो कि सब लीज पर है, जिसपर निर्माण किया गया और जिससे कंपनी को वित्तीय फायदा हुआ। पीठ ने बैंकों, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों और अन्य संबंधित निकायों को फॉरेंसिक आडिटरों की मदद करने का निर्देश देते हुए कहा कि वे अदालत के निर्देश पर काम कर रहे हैं और किसी भी तरह की अवहेलना अदालत की अवमानना मानी जाएगी।

पीठ ने अदालत की रजिस्ट्री को आम्रपाली के सीएफओ चंद्र वाधवा द्वारा दिया गया एक करोड़ रूपये का डिमांड ड्राफ्ट स्वीकार करने तथा समूह को कंपनी के मामलों की जांच में फॉरेंसिक ऑडिटरों से सहयोग के लिए चार लोगों को नियुक्त करने को कहा। पीठ ने मामले की आगे सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तारीख मुकर्रर की और कंपनी को तीन दिसंबर को अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

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