काल ड्राप संबंधी नियम मनमाना, अतर्कसंगत है: उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने ट्राइ के काल ड्राप के संबंध में दूरसंचार कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के नियम को खारिज करते हुए कहा कि यह मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी है।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ट्राइ के काल ड्राप के संबंध में दूरसंचार कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के नियम को खारिज करते हुए कहा कि यह मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा, ‘‘हमने इस रद्द नियम को अधिकार क्षेत्र से बाहर, मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी करार दिया।’’ उच्चतम न्यायालय ने भारत के एकीकृत दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और वोडाफोन, भारती एयरटेल तथा रिलायंस जैसे 21 दूरसंचार परिचालकों के संगठन सीओएआई द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने ट्राइ के इस साल जनवरी से काल ड्राप के संबंध में उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के फैसले को उचित ठहराया था।
दूरसचांर कंपनियों ने इससे पहले उच्चतम न्यायालय से कहा था कि पूरा क्षेत्र भारी-भरकम ऋण से दबा है और उन्हें स्पेक्ट्रम के लिए बड़ी राशि का भुगतान करना है इसलिए काल ड्राप को बिल्कुल बर्दाश्त न करने का नियम उन पर लागू नहीं किया जाना चाहिए। कंपनियों ने भारतीय दूरसंचार प्राधिकार (ट्राइ) के इस आरोप को खारिज किया कि वे भारी-भरकम मुनाफा कमाती हैं। दूरसंचार कपंनियों ने कहा कि उन्होंने बुनियादी ढांचे में काफी निवेश किया हुआ है। ट्राइ ने न्यायालय से कहा था कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के वास्ते वह काल ड्राप के लिए दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा क्योंकि सेवा प्रदाता उन्हें मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं हैं।
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