मध्य प्रदेश में औंधे मुंह गिरे टमाटर के भाव, किसान परेशान

Tomato prices fall in Madhya Pradesh, farmers worry
[email protected] । Feb 15 2018 6:45PM

मध्य प्रदेश में नयी फसल की बंपर आवक के कारण टमाटर के थोक भाव औंधे मुंह गिर कर दो रुपये किलोग्राम के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गये हैं। नतीजतन किसानों के लिये इसकी खेती की लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।

इंदौर। मध्यप्रदेश में नयी फसल की बंपर आवक के कारण टमाटर के थोक भाव औंधे मुंह गिर कर दो रुपये किलोग्राम के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गये हैं। नतीजतन किसानों के लिये इसकी खेती की लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। झाबुआ जिले के पेटलावद क्षेत्र प्रदेश के प्रमुख टमाटर उत्पादक इलाकों में गिना जाता है। इस क्षेत्र के रायपुरिया गांव के किसान योगेश सेप्टा ने आज बताया, "फिलहाल राज्य की प्रमुख थोक मंडियों में हमें एक किलोग्राम टमाटर बेचने पर औसतन दो रुपये मिल रहे हैं। इस कीमत में टमाटर बेचने पर खेती की उत्पादन लागत, फसल तुड़वाने, छंटवाने और इसे पैक कराकर थोक मंडी तक पहुंचाने का खर्च भी निकल नहीं पा रहा है।" 

करीब 25 एकड़ में टमाटर उगाने वाले किसान ने बताया कि गत अक्तूबर में टमाटर के थोक खरीदी भाव 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच थे। लेकिन इन दिनों मंडियों में कई स्थानों से टमाटर की नयी फसल की एक साथ आवक से भाव अचानक नीचे गिर गये हैं।

इस बीच, कृषक संगठनों ने मांग की है कि राज्य सरकार टमाटर उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिये उचित कदम उठाये। मध्य प्रदेश किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने कहा कि सूबे में टमाटर जैसी जल्द खराब हो जाने वाली फसलों के शीत भंडारण और प्रसंस्करण की सुविधाओं की कमी है। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को बड़े उद्योगपतियों के बजाय खुद किसानों को छोटी-छोटी शीत भंडारण सुविधाएं और प्रसंस्करण इकाइयां विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।" आम किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य केदार सिरोही ने कहा कि प्रदेश सरकार को अन्य फसलों की तरह टमाटर को भी भावान्तर योजना में शामिल करना चाहिये, ताकि किसानों को उनके पसीने का वाजिब मोल मिल सके।

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